जल्द से जल्द राशन पहुंचाने के आदेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन जनपदों में राशन और शुद्ध पेयजल की किल्लत है वहां 48 घंटे के अंदर सामग्री पहुंचा दी जाए। मुख्यमंत्री ने आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के वरिष्ठ अधिकारियों को भी जमकर लताड़ा और सवाल किया कि उत्तरकाशी जनपद में स्थित विश्व प्रसिद्ध वरुणावत पर्वत के अंतिम फेेज का ट्रीटमेंट अब तक क्यों नहीं किया गया। जबकि ट्रीटमेंट के लिए फंड पिछले एक साल से स्वीकृत है।
मंत्रियों को भी लताडा
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के अलावा प्रभारी मंत्रियों की भी क्लास ली और कहा कि जिन जनपदों में बिजली और पेय जल की लाइनें क्षतिग्रस्त है ,वहां अब तक मरम्मत क्यों नहीं की गई? उन्होंने पूछा कि आपदा के दौरान सभी मंत्रियों को आवश्यक फीड बैक आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र में भेजने को कहा गया था लेकिन मात्र 5 ही मंत्रियों ने अपने प्रभार वाले जनपदों में आई आपदा के बारे में फीड बैक दिया है। शेष मंत्रियों ने आपदा के बारें में किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी।
यात्रियों की घटती संख्या पर जताई चिंता
मुख्यमंत्री ने इस सीजन में चारधाम यात्रियों की कमी पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि कहीं न कहीं इसमें पर्यटन मंत्रालय की स्पष्ट लापरवाही झलकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा से निपटना सभी की जिम्मेदारी है। इसलिए आपदा प्रबंधन के साथ पेय जल,पीडब्ल्यूडी,ऊर्जा,सिंचाई,पर्यटन और गृह विभाग जैसे सभी विभागों को आपस में सामंजस्य बिठाकर काम करना चाहिए। विभाग एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने के बजाय आपस में तालमेल बिठाकर काम करें ताकि आपदा से निपटा जा सके। उन्होंने चारधाम यात्रा मार्ग में डेंजर जोन की संख्या बढऩे पर चिंता व्यक्त की और कहा कि आगामी एक पखवाड़े के अंदर सभी डेंजर जोन सुरक्षित किए जाएं।
सिंगापुर दौरे के कारण सभी के निशाने पर थे सीएम
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पिछले एक सप्ताह से सिंगापुर के दौरे पर थे। जिसकी वजह से मुख्यमंत्री पक्ष और विपक्ष दोनों के ही निशाने पर रहे। उत्तराखंड में भारी बारिश और भूस्खलन से पिछले दो माह में 48 लोगों की मौत हो चुकी है। साथ 20 से ज्यादा लोग अब भी लापता है। करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। इस दौरान केंद्र की आेर से भी कोई मदद नहीं मिली है। स्थानीय लोगों को भी अब तक किसी भी तरह का कोई मुआवजा नहीं मिला है।