देहरादून

उत्‍तराखंड में होम स्टे पर नए सिरे से होगा अध्ययन, 20 अगस्त तक बनेगी विशेषज्ञों की कमेटी

होम स्टे के लिए पिछले दो तीन माह में तीन हजार से ज्यादा आनलाइन आवेदन भरे जा चुके हैं लेकिन दिक्कत यह है कि होम स्टे में जो आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए, अधिकतर होम स्टे में उपलब्ध नहीं है…

देहरादूनAug 10, 2018 / 06:03 pm

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(पत्रिका ब्यूरो,देहरादून): होम स्टे योजना को उत्‍तराखंड सरकार और ज्यादा सशक्त और उपयोगी बनाना चाहती है। दरअसल होम स्टे योजना जिस मकसद से प्रदेश में शुरू की गई है वह सफल नहीं हो पा रही है। अब भी होम स्टे में ठहरने वालों पर्यटकों की संख्या काफी कम है। अब सरकार नए सिरे से होम स्टे का अध्ययन कराना चाहती है। सरकार जल्द ही होम स्टे पर नए सिरे से अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की एक टीम का गठन करेगी जिसमें अधिकतम 4 सदस्यों को शामिल किया जाएगा।

आवश्‍यक सुविधाओं का अभाव

होम स्टे के लिए पिछले दो तीन माह में तीन हजार से ज्यादा आनलाइन आवेदन भरे जा चुके हैं लेकिन दिक्कत यह है कि होम स्टे में जो आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए, अधिकतर होम स्टे में उपलब्ध नहीं है। पर्यटन विभाग भी इस बात को स्वीकार कर रहा है कि पर्यटक होम स्टे का आनंद उठाना चाहते हैं। पैसे भी खर्च करना चाहते हैं। लेकिन देशी या विदेशी कोई भी पर्यटक सुविधाएं खोजता है जो वर्तमान में होम स्टे में मौजूद नहीं है। सूत्रों के मुताबिक नए सिरे से कमरों का किराया भी तय किए जाने की संभवाना है।

कुमाऊं और गढ़वाल मंडलों के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा करेगी

विशेषज्ञों की टीम यह पता लगाने की कोशिश भी करेगी कि आखिर होम स्टे के लिए काफी संख्या में लोग आवेदन करते हैं। सरकार अनुमति भी देती है। लेकिन पर्यटकों की संख्या में इजाफा क्यों नहीं हो पा रहा है। विशेषज्ञों की टीम छोटी-बड़ी सभी आवश्यकताआें का पता लगाएगी और अपनी रिपोर्ट पर्यटन विभाग को देगी। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 20 अगस्त तक विशेषज्ञों की कमेटी बन जाएगी जो कुमाऊं और गढ़वाल दोनों ही मंडलों के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा करेगी। टीम एक माह में अपनी रिपोर्ट देगी। उस हिसाब से होम स्टे की व्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में कार्य किए जाएंगे।

मंशा स्थानीय लोगों की आर्थिक व्यवस्था को सशक्त करना

कुल मिलाकर राज्‍य सरकार की मंशा स्थानीय लोगों की आर्थिक व्यवस्था को सशक्त करना है। हालांकि वर्ष 2015 में ही विशेषज्ञों ने सलाह दी थी कि होम स्टे को आधुनिकीकरण करने की आवश्यकता है। आज का पर्यटक मार्डन है। वह गांवों में ही अत्याधुनिक सुविधाएं खोजता है। लेकिन तत्कालीन सरकार ने इस आेर ध्यान नहीं दिया जिसका नतीजा यह हुआ कि होम स्टे धीरे धीरे फलाप होना शुरू हो गया। आज प्रदेश के अधिकतर होम स्टे काफी बदतर स्थिति में हैं।

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