जानकारी के मुताबिक, जांच एजेंसियों ने करीब 10 दिन पहले ही अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। जल्द ही उन पर कड़ी कार्रवाई की संभावना व्यक्त की जा रही है। दीपक कुमार और विवादों का पुराना नाता रहा है। वित्तीय अनियमितताओं के आरोप बीते कई साल से उन पर लगते रहे हैं। उन पर साल 2017 से अब तक तीन बार जांच भी बैठ चुकी है, परंतु जांच कभी रफ्तार नहीं पकड़ सकी। लेकिन मौजूदा जांच में कई तरह की वित्तीय अनियमितताओं की बात सही पाई गई है। विजिलेंस, विभागीय और वित्त विभाग की ऑडिट टीम ने अलग—अलग जांच किया है। सूत्रों के मुताबिक, सभी ने माना है कि टेंडर प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी हुई है और नियमों को ताक पर रखकर आवश्यक सामग्री की खरीद-फरोख्त भी की गई है। उदाहरण के तौर पर 150 रुपए के बैग की कीमत 250 रुपए दिखाई गई है।
मालूम हो कि राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेषक बनने से पहले दीपक कुमार टिहरी डिस्ट्रिक्ट काॅ-ऑपरेटिव बैंक के जनरल मैनेजर के पद पर रहे हैं। वहां भी उन पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे। सूत्रों के मुताबिक, राज्य सहकारी बैंक के ही कुछ सदस्यों की षिकायत के बाद इनके खिलाफ जांच षुरू कराई गई है। इस संबंध में सहकारिता सचिव मीनाक्षी सुंदरम से संपर्क साधने की कोषिष की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं, राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेषक ने माना कि उन पर लगे सभी आरोप निराधार हैं।
सहकारिता विभाग के अपर सचिव बाल मयंक मिश्र का कहना है कि राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेषक पर लगे आरोपों की जांच पूरी कर ली गई है। साथ ही, रिपोर्ट षासन को सौंपी जा चुकी है। अब षासन को जरूरी कदम उठाना है।
‘भ्रष्टाचार बर्दाष्त नहीं किया जाएगा। दोषी पर सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।’
-डा. धन सिंह रावत, सहकारिता मंत्री