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उत्तराखंड: बारिश और बर्फबारी से चरमराई व्यवस्था, अभी और गहरा सकता है संकट

locationदेहरादूनPublished: Feb 04, 2020 06:59:04 pm

Uttarakhand News: स्नोकटर मशीन की कमी (Uttarakhand Weather) की वजह से चमोली, अल्मोड़ा और रुद्रप्रयाग में जमी हुई बर्फ को हटाने में काफी दिक्कतें आ रही हैं…

उत्तराखंड: बारिश और बर्फबारी ने मचाई तबाही, अभी और गहरा सकता है संकट

उत्तराखंड: बारिश और बर्फबारी ने मचाई तबाही, अभी और गहरा सकता है संकट

देहरादून: उत्तराखंड में पिछले दिनों हुई बारिश और बर्फबारी की वजह से बाधित हुई सडक़ें और संपर्क मार्ग अब तक पूरी तरह से खुल नहीं पाए हैं। अब भी करीब 90 से ज्यादा सडकें और संपर्क मार्ग बंद पड़े हैैं। इसके अलावा 48 गांवों में बिजली सप्लाई ठप है। पेयजल की पाइप लाइनें भी 100 से ज्यादा स्थानों पर क्षतिग्रस्त हैं। पिछले दो दिनों से बारिश बंद है लेकिन तेज धूप होने की वजह से बर्फ का पिघलना भी शुरू है। इससे पूरे प्रदेश में एक बार फिर से ठंड बढ़ गई है। ठिठुरन बढऩे से नैनीताल,चमोली और चंपावत जनपदों में सरकार ने प्राइमरी स्कूलों को 5 फरवरी को बंद रखने के आदेश दिए हैं।

 

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आपदा प्रबंधन के मुताबिक बाधित सडक़ों, पेजजल की सप्लाई और बिजली व्यवस्था ठीक करने की कोशिश की जा रही है। मौसम सही रहा तो आगामी एक पखवाड़े के अंदर सब कुछ सामान्य हो जाने की उम्मीद है। कई शहरों में अब भी बर्फ जमी हुई है। सबसे ज्यादा दिक्कत स्नोकटर मशीन को लेकर है। मशीन की कमी की वजह से चमोली, अल्मोड़ा और रुद्रप्रयाग में जमी हुई बर्फ को हटाने में काफी दिक्कतें आ रही हैं।

 

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उत्तराखंड के दूर दराज वाले क्षेत्रों में राशन की कमी की खबर है। खास तौर पर पौड़ी जनपद के जयहरीखाल, बीरोखाल और त्यूणी के दूर दराज के स्थानों पर राशन की कमी की वजह से लोग काफी परेशान हैं। किरासन तेल की भी कमी इस क्षेत्र में हो गई है। सडक़ें और संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त होने की वजह से खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग राशन की सप्लाई समय पर नहीं कर पा रहा है। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि जिन क्षेत्रों में राशन की किल्लत की सूचनाएं मिली हैं उनको ठीक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आगामी 20—25 दिनों के अंदर सब कुछ सामान्य हो जाने की उम्मीद है। कौशिक ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के मौसम के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है।

 

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हो सकती है बारिश…

मौसम विभाग को अंदेशा है कि आगामी तीन चार दिनों तक पर्वतीय जिलों में बारिश हो सकती है। ऐसी स्थिति में सडकों की मरम्मत और बिलजी की सप्लाई को दुरुस्त करना कोई सहज काम नहीं है। सरकार कोशिश कर रही है कि किरासन और राशन की कमी को तत्काल प्रभार से दूर किया जाए।

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