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प्राकृतिक आपदा से ना मचे तबाही इसलिए केंद्र ने उठाया बड़ा कदम, उत्तराखंड को सौंपी अहम जिम्मेदारी

locationदेहरादूनPublished: Oct 17, 2019 10:44:23 pm

Submitted by:

Prateek

प्राकृतिक आपदा के चलते बहुत नुकसान होता है, ऐसे में सरकार (Modi Government) ने इसका समाधान निकालने के लिए बड़ा कदम उठाया (Workshop On Disaster Management In Shimla) है, उत्तराखंड को जिम्मेदारी सौंपी गई है…

Modi Government,Workshop On Disaster Management In Shimla

प्राकृतिक आपदा से ना मचे तबाही इसलिए केंद्र ने उठाया बड़ा कदम, उत्तराखंड को सौंपी अहम जिम्मेदारी

(देहरादून,अमर श्रीकांत): आपदा प्रबंधन को लेकर केंद्र सरकार की ओर से उत्तराखंड को मास्टर प्लान तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पर्वतीय राज्यों के अलावा मैदानी राज्यों में भी बाढ़ या फिर अंधड़ से होने वाले नुकसान को कम करने को लेकर एक मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। ताकि मास्टर प्लान के तहत ही आपदा प्रभावित राज्यों में आपदा प्रबंधन की ओर से ठोस काम किया जा सके। इसको अंतिम रूप देने के लिए आगामी 22 अक्टूबर को शिमला में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिसमें केवल उत्तराखंड, जम्मू—कश्मीर, हिमाचलप्रदेश और सिक्किम के विशेषज्ञों को खास तौर पर आमंत्रित किया गया है।

 

शिमला में आयोजित कार्यशाला के समापन के बाद अंतिम कार्याशाला का आयोजन उत्तराखंड में किया जाएगा। उसके बाद उत्तराखंड की अगुवाई में आपदा से बचाव और राहत को लेकर एक मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। यह मास्टर प्लान केंद्र को भेजा जाएगा। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद उक्त मास्टर प्लान पर काम शुरू होगा। दरअसल हर साल न केवल उत्तराखंड बल्कि देश के अधिकतर पर्वतीय राज्यों के अलावा उत्तरप्रदेश और बिहार में बाढ़ की वजह से काफी संख्या में जानमाल की क्षति होने के साथ ही इन राज्यों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है।


आपदा की वजह से चार हजार करोड़ का नुकसान…

प्राकृतिक आपदा से ना मचे तबाही इसलिए केंद्र ने उठाया बड़ा कदम, उत्तराखंड को सौंपी अहम जिम्मेदारी

पिछले चार सालों में प्राकृतिक आपदा की वजह से पूरे देश में साढ़े तीन हजार करोड़ से चार हजार करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। हर साल यह आर्थिक नुकसान बढ़ता ही जा रहा है। आपदा के लिए गठित विशेषज्ञ कमेटी ने केंद्र को सुझाव दिया था कि पर्वतीय और मैदानी राज्यों के लिए अलग—अलग मास्टर प्लान की आवश्यकता है। वैज्ञानिकों के उक्त सुझाव को ध्यान में रखकर भू वैज्ञानिक आपदा राहत और बचाव को लेकर कसरत कर रहे हैं। शिमला से पहले सिक्किम में भू गर्भीय वैज्ञानिकों ने इस पर मंथन किया है। सिक्किम में आयोजित कार्यशाला में पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।


यह वैज्ञानिक लेंगे हिस्सा…

शिमला में आयोजित कार्यशाला में एनजीआरआई हैदराबाद के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.वीके गहलौत, ज्योलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के वैज्ञानिक डा.अतुल कोहली,एसएएसई चंडीगढ़ के वैज्ञानिक डा.ए.गंजु के अलावा डा.हेमंत विनायक,डा.शैलाष कुमार अग्रवाल,प्रो.रवि सिन्हा,अनूप कारानथ,डा.केजे रमेश,डा.मृत्युंजय महापात्रा,प्रो.वरूण दत्त,प्रो.जीवीआर मूर्ति,डा.पीयूष रौतेला, बीबी गडनायक जैसे विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है। इन वैज्ञानिकों के अलावा विश्व बैंक और केंद्र के भी प्रतिनिधि भी कार्याशाला में मौजूद रहेंगे। भू वैज्ञानिक प्रो.एस बिष्ट का कहना है कि आपदा राहत और बचाव को लेकर मंथन किया जा रहा है। हर साल ही भूस्खलन और बाढ़ करोड़ों का झटका राज्यों को लगता है। आर्थिक नुकसान को किस तरह से कम किया जाए। मास्टर प्लान में उत्तराखंड की भूमिका अहम होगी।


आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के अधिशासी निदेशक डा.पीयूष रौतेला का कहना है कि आपदा के दौरान बचाव और राहत बेहद महत्वपूर्ण होता है। आपदा प्रबंधन के लिहाज से उत्तराखंड की व्यवस्था काफी बढिय़ा है। वैज्ञानिकों के सुझावों पर अमल किया जाएगा।

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