डा. निशंक ने बताया कि पौधरोपण की दिशा में भी मानव संसाधन विकास मंत्रालय अग्रणी भूमिका अदा कर रहा है। इस पर काम शुरू हो चुका है। एक छात्र अपने जन्मदिन पर एक पौधा लगाएगा। और जन्मदिन पर लगने वाले पौधरोपण का यह सिलसिला अब कभी नहीं थमेगा। हर साल ही विद्यार्थी अपने जन्मदिन पर पौधा लगाने ( Plantation on Students Birthday ) का काम करेंगे। डा. निशंक का कहना है कि सरकार ने इसे पाठ्यक्रम का एक हिस्सा बना दिया है।
मानव संसाधन विकास मंत्री चाहते हैं कि देश के विद्यार्थी उच्च तालीम या फिर किसी भी तरह की शिक्षा के लिए विदेश नहीं जाएं, बल्कि भारत की शिक्षा व्यवस्था को इतना ज्यादा दुरुस्त किया जाए कि किसी भी भारतीय बच्चे को विदेश में बेहतर शिक्षा पाने के लिए भटकना नहीं पड़े।
डा. निशंक बताते हैं कि विदेश से विद्यार्थी पढऩे के लिए भारत आएं। इसके लिए उनका मंत्रालय काफी तत्पर है और विदेशी बच्चों को आकृष्ट करने के लिए सरकार स्टडी इंडिया कार्यक्रम ( Study India Programme ) भी शुरू करने वाली है। इससे विदेशी बच्चे भारत की ओर रूख करेंगे। डा. निशंक का कहना है कि भारत शुरू से ही विश्व गुरु रहा है और भविष्य में भी रहेगा। इस दिशा में मानव विकास मंत्रालय काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि विज्ञान के साथ ही साथ अतीत में ऋषि-मुनियों के ज्ञान को भी अमल में लाने की आवश्यकता है। ज्ञान और विज्ञान दोनों को ही बढ़ाना होगा। भारत सरकार विशेषकर उनका मंत्रालय इस दिशा में काम भी शुरू कर चुका है।
मानव संसाधन विकास मंत्री का कहना है कि शिक्षा नीति पर कार्य कर रहे हैं। अफसरों से कहा गया है कि वे उच्च शिक्षा ( Higher Education ) में ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करें जिससे छात्र -छात्राओं को बेरोजगार नहीं होना पड़े। डिग्री हासिल करने के बाद तुरंत छात्र-छात्राओं को रोजगार मिले, ऐसा प्रबंध किया जा रहा है। डा. निशंक मानते हैं कि नए शोध पर भी उनका मंत्रालय काफी सक्रियता से काम कर रहा है। नए शोध की ओर फोकस किया जा रहा है। विशेषकर महाविद्यालयों को अंतर विषयी शोध पर जोर देने को कहा गया है। इसके तहत स्थानीय समस्यओं को लेकर कार्य किया जाएगा। उनका मानना है कि इस पद्धति से किए गए शोध का लाभ जनता तक पहुंच सकेगा। और कहीं भी यदि समस्याएं हैं तो उनका समाधान भी किया जाना चाहिए।
विश्व की रैंकिंग में भारत को लाने के लिए नेशनल रिसर्च ( National Research ) की स्थापना की जा रही है। इससे विकास का मार्ग खुलेगा। डा. निशंक ने बताया कि सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों को विशेष निर्देश दिए गए हैं कि 3 लाख से ज्यादा रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में भी 10 हजार रिक्त पड़े पदों का भरा जा रहा है। खास बात यह है कि किसी भी तरह की शिकायत के लिए ऑनलाइन कार्यक्रम शुरू किया गया है। 12 भाषाओं में से किसी भी भाषा का चयन करके कोई भी व्यक्ति मानव संसाधन मंत्रालय में सीधी शिकायत कर सकता है। अब तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। अफसर 30 दिनों के अंदर हर तरह की शिकायतों का निदान करेंगे।
डा. निशंक का कहना है कि 40 हजार डिग्री कालेज और 900 से अधिक विश्वविद्यालयों में शिक्षा परामर्श कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिससे 3 करोड़ 27 लाख छात्र-छात्राओं को विशेष लाभ मिलेगा। विश्वविद्यालयों में 10 फीसद स्वर्ण जाति के गरीब बच्चों को आरक्षण देने की घोषणा को कई केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं मान रहे हैं। इस बारे में डा. निशंक का कहना है कि इसके लिए कानून बना हुआ है। एक्शन होगा। साथ ही, केंद्र पोषित फंड का दुरुपयोग या फिर समय पर केंद्र द्वारा आवंटित राशि का उपयोग नहीं करने वाले विश्वविद्यालयों और कालेजों के खिलाफ सख्त कारज़्वाई करने में मानव विकास मंत्रालय किसी तरह का संकोच नहीं करेगा।
प्राइमरी स्कूल के पठन-पाठन को लेकर भी मानव संसाधन मंत्रालय गंभीर है। इस बारे में डा.निशंक का स्पष्ट कहना है कि इसके लिए एक आयोग बनाया जा रहा है जो खासतौर पर इस बात का अध्ययन करेगा कि वर्तमान में प्राइमरी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है या नहीं। दरअसल, कई तरह की शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं कि छोटे बच्चों पर पुस्तकों को बोझ काफी ज्यादा हो गया है। उनका कहना है कि बच्चों का बचपन झपटने का अधिकार किसी को नहीं है। हम ऐसी व्यवस्था करेंगे कि बच्चों का बचपन खुशहाल रहे और पढ़ाई लिखाई भी कहीं से बाधित नहीं हो। डा. निशंक ने बताया कि जल्द ही देश में दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा नीति मानव संसाधन विकास मंत्रालय लाने की तैयारी कर रहा है। इस दिशा में करीब 30 करोड़ सुझाव आएं हैं जो अपने आप में एक रिकार्ड है।