किजिएं बाबा वासुकिनाथ के दर्शन
धार्मिक मान्यता के अनुसार बाबा बैद्यनाथधाम जाने वाले श्रद्धालुओं की पूजा दुमका स्थित बाबा वासुकिनाथ धाम मंदिर में जलाभिषेक से ही पूरी होती है, लेकिन इस संकट की घड़ी में सोशल डिस्टेसिंग का अनुपालन कराने के लिए यहां के पट भी बंद कर दिए गए हैं। दोनों धामों में सिर्फ सरकारी पूजा ही हो रही है। लॉकडाउन के कारण इन दोनों शहरों तथा आसपास के क्षेत्र की पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है।
हर समुदाय प्रभावित…
देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर के पुरोहित शिक्षाविद और पंडा धर्म रक्षिणी सभा के अध्यक्ष प्रो. (डॉ) सुरेश भारद्वाज ने बताया कि लॉकडाउन से देवघर में रहने वाले पांच हजार पंडा हंडीपति परिवार (10-12 लोगों के संयुक्त परिवार के लिए एक ही हंडी (बर्तन) में भोजन) सीधे प्रभावित हुए है। उन्होंने बताया कि बाबा बैद्यनाथधाम मंदिर के ऊपर ही देवघर की पूरी अर्थव्यवस्था टिकी है। लॉकडाउन के कारण न सिर्फ मंदिर के पुजारी और पंडा परिवार ही प्रभावित है, बल्कि मंदिर के आसपास स्थित सैकड़ों पूजा सामग्रियों की दुकान, फूल-माला का कारोबार करने वाले व्यवसायी, होटल, रेस्त्रां, ऑटो, बस, व्यवसाय और छोटे-बड़े उद्योग धंधें प्रभावित हुए हैं। जिस तरह कोरोना वायरस धर्म और समाज बिना देखे लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है उसी तरह मंदिर के पट बंद होने से हर धर्म और समाज के लोगों पर व्यापक असर पड़ा है। शहर में हिंदुओं के साथ—साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों की दुकानें भी हैं जो श्रद्धालुओं से खचाखच भरी रहती हैं। आज बाबा नगरी ‘देवघर’ लॉकडाउन खुलने के साथ—साथ हालात सामान्य होने की कामना कर रही है। प्रो. सुरेश भारद्वाज ने बताया कि लॉकडाउन की अवधि में मंदिर में सिर्फ वैधानिक पूजा अर्चना ही हो रही है। सुबह में दो-तीन पुरोहित सरकारी पूजा करते है और दोपहर तीन बजे विश्राम पूजा और शाम में श्रृंगार पूजा कर मंदिर के पट को बंद कर दिया जाता है, इस दौरान मंदिर के अंदर किसी भी श्रद्धालु के प्रवेश पर रोक रहती है।
वैधानिक पूजा अर्चना ही हो रही है…
दुमका स्थित बाबा वासुकिनाथधाम मंदिर के मुख्य पुरोहित मनोज पंडा ने बताया कि क्षेत्र की पूरी अर्थव्यवस्था मंदिर पर ही आधारित है, लेकिन लॉकडाउन की अवधि में 400 पंडा परिवार के अलावा अन्य व्यवसाय भी प्रभावित हुए है। राज्य के अन्य सभी प्रमुख मंदरों रामगढ़ के रजरप्पा स्थित मां छिन्न मस्तिके मंदिर, रांची स्थित पहाडी मंदिर, चतरा स्थित मां भद्रकाली मंदिर समेत सभी छोटे-बड़े मंदिरों का भी पट बंद है और पुरोहितों द्वारा पूजा की जा रही हैं।