यह है वजह…
बाबा धाम देवघर (Baba Dham Deoghar) में रावण दहन नहीं होता है। हालांकि दशाहरे पर मां माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन होता है और मेले लगते है लोग उत्सव मानते है। बाबा धाम के राज पुरोहित माया शंकर शास्त्री ने बताया कि बैद्यनाथ धाम देवघर में रावण को लोग राक्षस नहीं बल्कि राजा और महान पंडित मानते है। उन्होंने बताया कि रावण की वजह से ही द्वादश ज्योतिर्लिंग (12 jyotirlinga Darshan) की स्थापना देवघर में हुई है। उन्होंने ही विश्वकर्मा से बाबा मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर के शिखर में चन्द्रकांत मणि लगाया। शिवगंगा सरोवर की भी उत्पत्ति की। शिव तांडव श्त्रोतम और महीधर संहिता आदि की रचना करने वाले लंका पति रावन बाबाधाम के लोगो के लिए राजा सामान है।
आज तक चल रही पुरानी पूजा पद्धति
बाबाधाम धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष बिनोद दत्त द्वारी का कहना है कि बाबा मंदिर का नाम भी रावणेश्वर बैद्यनाथ ही है। लोग इन्हें महान विद्वान और प्रकांड पंडित मानते है। इसलिए दशहरा पर इनके पुतले फूंके नहीं जाते तथा इनके द्धारा स्थापित पूजा पद्धति ही यहाँ आज तक प्रचलित है।