शहर के मालवीय रोड निवासी 55 वर्षीय राजकुमार जायसवाल पुत्र गोपाल दास सन 2014 में सड़क दुर्घटना में घायल हो गये थे। राजकुमार के कुल्हे में गंभीर चोट आयी थी। दुर्घटना के बाद उपचार हुआ और वह फिट भी हो गया। कुछ ही महीनों बाद माह बाद उन्हें अचानक दर्द शुरू हुआ और वह देवरिया से लेकर गोरखपुर तक, कई चिकित्सकों के पास दौड़ते रहे, लेकिन आराम नहीं मिला। इसके बाद दर्द निवारक दवा खाने लगे। हालत इतनी खराब हो गई कि दवाएं बेअसर हो गईं और दर्द निवारक इंजेक्शन लेना पड़ा। आर्थोपेडिक सर्जन शान्तनु जायसवाल को दिखाए। उन्होंने जांच कराया तो पता चला कि कूल्हे की हड्डी गल कर खराब हो गई है। चिकित्सक ने कुल्हा प्रत्यारोपित कराने की सलाह दी। राजकुमार ने ऑपरेशन के बाद की जिंदगी को दूसरा जन्म बताया, वहीं चिकित्सक डॉक्टर शांतनु ने कहा कि जर्मनी मेड कृत्रिम कूल्हे का प्रत्यारोपण किया गया। प्रत्यारोपण करने वाली टीम में डा.सीपी साह के साथ ही असिस्टेंट उमेश मिश्रा शामिल थे। उन्होंने कहा कि महानगरों में इस ऑपरेशन का खर्च दो से ढाई लाख रुपये आता है, जबकि इस आपरेशन में 90 हजार रुपये से भी कम खर्च आया है।
चिकित्सा जगत में हर्ष
जनपद के चिकित्सक द्वारा कूल्हे का सफल प्रत्यारोपण करने की खबर फैलते ही चिकित्सा जगत में हर्ष की लहर दौड़ गयी। चिकित्सकों ने फोन कर डॉक्टर शांतनु को बधाई दी।
जनपद के चिकित्सक द्वारा कूल्हे का सफल प्रत्यारोपण करने की खबर फैलते ही चिकित्सा जगत में हर्ष की लहर दौड़ गयी। चिकित्सकों ने फोन कर डॉक्टर शांतनु को बधाई दी।