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शहीद का शव दरवाजे पर था, बिटिया अराध्या को खेलता देख सबके आंसू निकल जाते

locationदेवरियाPublished: Feb 16, 2019 07:30:33 pm

शहीद विजय के पिता ने गुस्सा उतारा, कहा पाॅवर नहीं दोगे तो बेटे तो मरेंगे ही

vijay maurya

शहीद का शव दरवाजे पर था, बिटिया अराध्या को खेलता देख सबके आंसू निकल जाते

देवरिया के लाल शहीद विजय मौर्या का अंतिम संस्कार शनिवार को किया गया। शाम करीब चार बजे शव शहीद के दरवाजे तक पहुंच सका। शहीद का शव देखते ही पत्नी दहाड़े मारकर रोने लगी। उन्होंने तबतक शव को उठाने से मना कर दिया जबतक सीएम योगी आदित्यनाथ नहीं पहुंचते।
शहीद के परिजन की इस मांग के बाद मौके पर पहुंची मंत्री अनुपमा जायसवाल, मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने मनाने की कोशिश की लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं थे। कुछ देर बाद मंत्री ने मुख्यमंत्री से मोबाइल पर बात कराई। सीएम योगी ने ब्रह्मभोज में आने का आश्वासन दिया और उनकी हर मांग को पूरा करने की बात कही। इसके बाद शहीद के शव को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार को ले जाया गया।
पिता बोले, वर्दी पहनाकर हथियार थमा देते, पाॅवर दो तब बचेंगे बेटे

शहीद विजय मौर्या के बुजुर्ग पिता रामायण मौर्य ने सरकार पर अपना गुस्सा जताते हुए कहा कि बेटे सेना में जाते हैं तो उनको वर्दी पहनाकर हथियार थमा दिया जाता है। पावर नहीं जबतक मिलेगा तबतक हमारे बेटे मारे जाते रहेंगे। सरकार सेना को खुली छूट दे। सरकार मौत का खेल बंद करे।
जिला प्रशासन के लोगों से बुजुर्ग पिता ने कहा कि घर में दो दो विधवा बहुएं हैं, मासूम बच्चे हैं। अब इनका देखभाल कैसे होगा। बेबस पिता के इन शब्दों को सुनकर हर कोई वहां रो पड़ा।
बता दें कि शहीद के पिता को बेटे की शहादत की जानकारी पहले नहीं दी गई थी। शनिवार को जब शव आने को हुआ तो लोगों ने उनको जानकारी दी। इसके पहले उनके लापता होने की सूचना परिजन ने दी थी। शहीद होने की बात सुनते ही वह रो पड़े।
हजारों की भीड़ पहुंची श्रद्धांजलि देने

पुलवामा के शहीद विजय मौर्या को देवरिया में उनके गांव श्रद्धांजलि देने के लिए एक लाख से अधिक लोग पहुंचे थे। घर से लेकर घाट तक लोगों का तांता लगा रहा।
घर बनवाने का वादा कर गए थे विजय
पिता रामायण मौर्य के अनुसार विजय जब आठ फरवरी को यहां से लौटे तो अगली बार घर बनवाने का वादा कर गए थे। इसके लिए उन्होंने दस लाख रुपये लोन भी लिया था। वह कहे थे कि अधूरे बरामदा का छत पूरा करवा दूंगा लेकिन उनको क्या पता था कि अधूरे बरामदा में ही उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा।
दो दो बेटों को कंधा दे चुके हैं शहीद के पिता
शहीद विजय के पिता रामायण मौर्य की बुजुर्ग आंखें अपने दो दो बेटों के शवों को देख चुकी हैं। दूसरे नंबर के बेटा कृष्ण कुमार की मौत गंभीर बीमारी की वजह से हो चुकी है। इनकी दो बेटियों और विधवा भाभी की जिम्मेदारी भी विजय पर ही थी। अब विजय के शहीद होने की सूचना ने बुजुर्ग पिता को तोड़कर रख दिया है। एक बेटा अशोक गुजरात में अपने परिवार के साथ रहता है।
बेटी अराध्या को कुछ भी मालूम नहीं

शहीद की पत्नी विजयलक्ष्मी पति के गम में रो रोकर बेहोश हो जा रही थी। गांव की महिलाएं उनको संभालने में लगी थी। वहीं शहीद की मासूम बेटी अराध्या खेलने में व्यस्त दिखी। कभी किसी की गोद में चली जाती तो कभी किसी के। मासूम को पता ही नहीं था कि उनके घर भीड़ क्यों आई है, उसके पिता को क्या हुआ है।

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