बताते चलें कि शहीद सत्य नारायण यादव कुछ ही दिन पूर्व प्रमोशन पाकर वह एएसआई बने थे और तीन महीने बाद वह सेवानिवृत्त भी होने वाले थे। वृद्ध पिता की सेवा के लिए उन्होंने वालंटरी रिटायरमेंट की पेशकश कर रखी थी। वर्तमान में उनकी तैनाती जम्मू के अखनूर सेक्टर में थी। परिजनों की माने तो सत्य नारायण यादव ने पत्नी सुशीला को एक हफ्ते बाद ही काश्मीर घुमाने के लिए बुलाया था। सुशीला जाने की तैयारी में लगी ही थीं कि दुखद सूचना ने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया। नियति को शायद यह मंजूर नहीं था और रविवार की सुबह मोबाइल की घंटी बजी और पूरे परिवार में मातम छा गया।
सुबह शहीद के परिजनों ने प्रशासन के सामने माँग रख दी थी कि जब तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नही आएंगे तब तक शहीद का अंतिम संस्कार नही होगा लेकिन शव आने के बाद प्रशासनिक अमले और सरकार की ओर से आए मंत्री सूर्य प्रताप शाही, साँसद कलराज मिश्र ने परिजनों को समझा बुझाकर अंतिम संस्कार के लिए राजी कराया। शहीद की विधवा सुशीला देवी ने दोनों बेटों जितेंद्र व राजेश को सेना में नौकरी दिलाए जाने की माँग करते हुए कहा कि बेटे ही पाकिस्तानियों से बाप का बदला लेंगे।