नतीजों से भाजपा के रणनीतिकार बेहद उत्साहित हैं और आने वाले 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर भी आश्वस्त हैं। उनका कहना है कि इस जीत ने यह तय कर दिया कि भगवान परशुराम के वंशजों की कृपा भाजपा पर बरकरार है। पिछले कुछ समय से भाजपा केा ब्राह्मण विरोधी साबित करने में जुटे विपक्ष के लिये भी देवरिया में भाजपा की जीत काफी मायने रखती है। भाजपा नेता इसे 2022 के लिये संकेत बता रहे हैं तो सियासी जानकारों की राय भी इसी से मिलती-जुलती है।
देवरिया सदर उपचुनाव में बीजेप की टेंशन बढ़ाने के लिये बागी भी मैदान में थे। जिन भाजपा विधायक जन्मेजय सिंह के निधन के बाद सीट पर उपचुनाव हो रहा था। उनके बेटे अजय कुमार सिंह ‘पिंटू’ को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने बागी होकर ताल ठोक दी। भाजपा नेताओं ने काफी समझाया, लेकिन अजय ने नामांकन कर चिंता बढ़ा दी। उधर बसपा से लेकर कांग्रेस और बाद में सपा ने भी ब्राह्मण उम्मीदवार उतार दिये। इन सबके बावजूद बीजेपी लगी रही और परशुराम के वंशजों के आशीर्वाद से आखिरकार ब्राह्मणों के गढ़ में कमल की लालिमा बरकरार रही।
भाजपा के सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी ‘गुड्डू बाबू’ ने सबसे अधिक 68,732 वोट हासिल चुनाव जीता। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वि सपा प्रत्याशी को 20,089 वोटों से हराया। सपा के ब्रह्माशंकर त्रिपाठी दूसरे नंबर पर रहे, जिन्हें 48,643 वोट मिले। बसपा के अभयनाथ त्रिपाठी को 22,069 तो बीजेपी के बागी अजय कुमार सिंह ‘पिंटू’ को 19,299 वोट मिले। कांग्रेस ने यहां जिस जोर-शोर से मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया था वह सारे दावे फुस्स हो गए और महज 3,692 वोट ही हासिल हुए।
भाजपा के गोरखपुर क्षेत्र के अध्यक्ष डाॅ. धर्मेंद्र सिंह का कहना है कि अब विपक्ष का जातिगत दांव नहीं चलने वाला। देवरिया की जनता ने उन्हें आईना दिखा दिया है। मतदाता समझदार है और जाति-धर्म से ऊपर उठकर सोचता है। आज समाज का हर तबका बीजेपी के साथ है। लोग अब विकास, कानून व्यवस्था, रोजगार आदि के आधार पर मतदान करते हैं। देवरिया इसकी मिसाल है।