जिला मुख्यालय से लगभग चालीस किलोमीटर दूर साँसद के गोद लिए इस गांव में शुरुवाती दौर में अधिकारियों की चहल पहल जरुर बढ़ी दिखी लेकिन जनहित में ऐसा कोई बड़ा प्रोजेक्ट यहाँ नही स्थापित हुआ जिससे कोई बड़ा परिवर्तन होता दिखे । हां , हुआ तो वही पुराना नाली , सड़क और इंटरलॉकिंग का कुछ कार्य । सोलर पैनल से जुड़ी लाइट लगी तो जरुर लेकिन जिन झोपड़ियों के सामने उसे लगनी चाहिए थी वो वहाँ न लगकर बड़े बड़े मकानों के सामने लगा दी गयीं ।
कुछ-एक नई योजनाओं को इस गांव मे संचालित जरुर किया गया था। लेकिन वह सब कुछ समय के लिए चली और जब सांसद कलराज मिश्रा का केन्द्रीय मंत्री पद गया तो यहां की योजनाओ ने भी दम तोड़ दिया । पयासी गांव की आबादी लगभग 6000 है और पांच टोलो मे बसे इस गांव मे कुल लगभग 3800 वोटर हैं । गांव मे ले देकर एक हास्पिटल है लेकिन वह भी कभी कभार ही खुलता है । कहने को तो यहां पर कुल चार स्वास्थ कर्मचारियो की नियुक्ती की गयी है लेकिन जब इसका रियलटी चेक किया गया तो यहाँ ताला बन्द मिला ।
किसी ने सूचना दे दी कि पत्रकारों की कोई टीम पहुंची है तो 11 बजे के बाद अस्पताल के दो कर्मचारी हास्पिटल का ताला खोलते नजर आए । इस गांव मे लगे सोलर लाईट की छानबीन की गयी कि तो पता चला कि कुल 52 सोलर लाईट लगा है जिसमे से तीन चौथाई सोलर लाईट खराब भी हो चुके है ।
ग्रामीणों ने बताया कि शुद्ध पेयजल के लिए दो आरओ प्लांट लगाया है जो पिछले छः महीने से खराब पड़ा है । इनका ये भी कहना था कि हमें लगता था कि कोई ऐसी योजना आएगी जिससे गाँव के युवकों और महिलाओं को कुछ रोजगार मिलेगा लेकिन कुछ ऐसा नही हुआ । इन ग्रामीणों ने यहां तक कह डाला कि नाली , सड़क और खड़ंजा तो प्रधान जी भी करवा रहे थे। अब भी वही हो रहा है । ऐसे में सांसद ने हमारे गांव को गोद लेकर क्या बड़ा कर दिया। साँसद के गोद लिए इस आदर्श गांव मे जल निगम ने एक बड़े वाटर टैंक का निर्माण किया है। लेकिन बिजली के अभाव मे इससे जलापूर्ति शुरु ही नही की जा सकी है । गांव को मोबाइल नेटवर्क से जोड़ने के लिए बीएसएनएल ने टावर भी लगाया है । लेकिन योजना की शुरुवात अभी तक फिलहाल नही हो सका है । परिषदीय स्कूल के आवाला उच्च शिक्षा का कोई संस्थान इस गाँव मे नही है ।
ग्रामीणों से पता चला कि गाँव मे आदर्श प्राथमिक स्कूल भी है लेकिन वहाँ भी नियमित क्लास नही चल पाता है । गाँव के लोग बताते हैं कि आदर्श गांव घोषित होने बाद पूर्व मंत्री और साँसद कलराज मिश्रा इस गांव मे सिर्फ पांच बार आये हैं । उस समय उनके साथ पूरा सरकारी लाव लश्कर भी आया लेकिन उनके जाने के बाद कभी कभार ही कोई अधिकारी यहाँ नजर आया। गाँव वालों का कहना था कि साँसद कलराज मिश्रा जबसे मंत्री पद से हटे हैं इस गाँव मे चल रहे विकास कार्यों पर उसका असर साफ तौर पर दिख रहा है ।