रियल एस्टेट मार्केट को संकट से उबारने के लिए कलेक्टर गाइडलाइन में प्रॉपर्टी की कीमतें नहीं बढ़ाने पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है
भोपाल। रियल एस्टेट मार्केट को संकट से उबारने के लिए कलेक्टर गाइडलाइन में प्रॉपर्टी की कीमतें नहीं बढ़ाने पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। कीमतें सिर्फ वहीं बढ़ाई जाएंगी, जहां बहुत गुंजाइश हो। यानी जहां प्रॉपर्टी का बाजार मूल्य बीते साल की अपेक्षा वाकई बढ़ा है। शनिवार को हुई केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की पहली बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि राजधानी समेत पूरे प्रदेश में मॉल और बिजनेस सेंटर के ऊपरी फ्लोर के लिए गाइडलाइन की कीमतें 10 फीसदी तक कम की जाएंगी। अभी सभी फ्लोर पर कीमतें एक जैसी हैं। नई गाइडलाइन अप्रैल 2016 से प्रभावी होगी।
क्रेडाई सदस्यों ने राज्य सरकार से मांग की है कि फ्लैट के बिल्टअप एरिया पर रजिस्ट्री होनी चाहिए। इससे 50 फीसदी तक स्टाम्प ड्यूटी बचेगी। कृषि भूमि के पहले एक हजार वर्गमीटर पर प्लॉट के रेट से स्टाम्प ड्यूटी देने से भी मुक्ति मिलनी चाहिए।
डेवलपर्स ने गिनाईं ये दिक्कतें
31 अक्टूबर को मुंबई में वित्तमंत्री अरुण जेतली और राष्ट्रीयकृत बैंकों के प्रमुखों के साथ डेवलपर्स की बैठक हुई थी। डेवलपर्स ने वित्तमंत्री को बताया था कि वर्ष 2013 से कलेक्टर गाइडलाइन की कीमतों को इनकम टैक्स से लिंक करने से रियल एस्टेट मार्केट पर बुरा असर हुआ है। डेवलपर्स यदि प्रॉपर्टी की कीमतें कम करते भी हैं तो इसका फायदा लोगों को नहीं मिल पाएगा। इसके लिए जरूरी है कि गाइडलाइन में भी कीमतें कम हों।