सालाना लिविंग कॉस्ट
थ्री बेड वाले एक रूम का लिविंग कॉस्ट सालाना 1,05,000 रुपए तो दो बेड वाले रूम के लिए 1,24,000 रुपए देना पड़ता है। मेट्रो सिटीज में रूम्स की मांग ज्यादा, आपूर्ति कम
रियल एस्टेट कंसलटेंसी जेएलएल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल ३ करोड़ 40 लाख युवा उच्च शिक्षा में प्रवेश लेते हैं। इनमें से २ करोड़ 66 लाख (76 फीसदी) छात्र अलग-अलग शहरों के होते हैं, जिन्हें पढ़ाई जारी रखने के लिए किफायती स्टूडेंट हाउसिंग की जरूरत पड़ती है। उच्च शिक्षा के केंद्र वाले मेट्रो सिटीज और अन्य शहर मांग के अनुरूप केवल 18 से 20 फीसदी छात्रों को ही आवास मुहैया करा पाते हैं।
थ्री बेड वाले एक रूम का लिविंग कॉस्ट सालाना 1,05,000 रुपए तो दो बेड वाले रूम के लिए 1,24,000 रुपए देना पड़ता है। मेट्रो सिटीज में रूम्स की मांग ज्यादा, आपूर्ति कम
रियल एस्टेट कंसलटेंसी जेएलएल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल ३ करोड़ 40 लाख युवा उच्च शिक्षा में प्रवेश लेते हैं। इनमें से २ करोड़ 66 लाख (76 फीसदी) छात्र अलग-अलग शहरों के होते हैं, जिन्हें पढ़ाई जारी रखने के लिए किफायती स्टूडेंट हाउसिंग की जरूरत पड़ती है। उच्च शिक्षा के केंद्र वाले मेट्रो सिटीज और अन्य शहर मांग के अनुरूप केवल 18 से 20 फीसदी छात्रों को ही आवास मुहैया करा पाते हैं।
इस कमी को पूरा करने के लिए बड़ी संख्या में युवा उद्यमियों ने इस व्यवसाय में दस्तक दी है। इस कारोबार को व्यवस्थित रूप भी दिया है। कंसलटिंग फर्म एडुविजर्स के ग्लोबल मार्केट सर्वे के अनुसार वर्तमान में स्टूडेंट हाउसिंग का ग्लोबल मार्केट करीब १३,००० अरब रुपए की है। 2020 तक उच्च शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों की संख्या 30 करोड़ होने की उम्मीद है। यानी यह कारोबार अभी और विस्तार लेगा, क्योंकि पीजी और रेंटल रूम्स की मांग और आपूर्ति में बहुत बड़ा गैप है, जिसे युवा उद्यमी पूरा कर सकते हैं।
क्यों बदली तस्वीर…
शिक्षण संस्थानों के छात्रावासों में अधिकतर छात्रों को सुविधा न मिलने से आवासीय कॉलोनियों व अन्य माध्यमों पर निर्भर रहना पड़ता है, जहां सुविधाएं कम होती हैं। यही वजह है रियल एस्टेट एजेंसियों, स्टार्टअप उद्यमियों के लिए यह सोने पे सुहागा साबित हो रहा है।
शिक्षण संस्थानों के छात्रावासों में अधिकतर छात्रों को सुविधा न मिलने से आवासीय कॉलोनियों व अन्य माध्यमों पर निर्भर रहना पड़ता है, जहां सुविधाएं कम होती हैं। यही वजह है रियल एस्टेट एजेंसियों, स्टार्टअप उद्यमियों के लिए यह सोने पे सुहागा साबित हो रहा है।
स्टूडेंट हाउसिंग का कॉन्सेप्ट
यह वैश्विक स्तर पर उच्च शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों को आवासीय सुविधा मुहैया कराने की आधुनिक व्यवस्था है स्टूडेंट हाउसिंग। भारत **** दुनियाभर में यह व्यवस्था लोकप्रिय हो रही है। इसमें प्राइवेट बिल्डर्स और निवेशकों की रुचि तेजी से बढ़ी है। यह छात्रों के लिए आवास के लिहाज से वैकल्पिक व्यवस्था बनकर उभरा है।
यह वैश्विक स्तर पर उच्च शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों को आवासीय सुविधा मुहैया कराने की आधुनिक व्यवस्था है स्टूडेंट हाउसिंग। भारत **** दुनियाभर में यह व्यवस्था लोकप्रिय हो रही है। इसमें प्राइवेट बिल्डर्स और निवेशकों की रुचि तेजी से बढ़ी है। यह छात्रों के लिए आवास के लिहाज से वैकल्पिक व्यवस्था बनकर उभरा है।
ऑपरेटर्स के लिए है लाभ का सौदा
मांग के हिसाब से जितनी संख्या में वैकल्पिक आवास की जरूरतें होती हैं, वे आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। डेवलपर्स के लिए यह अवसर स्थाई आय व मुनाफे का जरिया बन गया है। छात्रों की बढ़ती संख्या ने इनकी अहमियत और बढ़ा दी है। इसके प्रति रुझान बढऩे का कारण भी यही है।
मांग के हिसाब से जितनी संख्या में वैकल्पिक आवास की जरूरतें होती हैं, वे आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। डेवलपर्स के लिए यह अवसर स्थाई आय व मुनाफे का जरिया बन गया है। छात्रों की बढ़ती संख्या ने इनकी अहमियत और बढ़ा दी है। इसके प्रति रुझान बढऩे का कारण भी यही है।