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जांजगीर चंपा

फसलों को बचाने किसान कर रहे दवा का छिड़काव, कीट प्रकोप से टूट रही किसानों की उम्मीदें

-कृषि अधिकारी क्षेत्र का दौरा करने के बजाय घर बैठे आंकड़ा दुरुस्त करने में लगे

जांजगीर चंपाOct 02, 2017 / 10:43 am

Shiv Singh

 Crop Disease
जांजगीर-चांपा. फसलों में लग रही बीमारी की रोकथाम को लेकर किसान चिंचित हैं। वे बीमारी के लक्षण कीटनाशक दवा विक्रता को बताकर दुकान से दवा खरीद रहे हैं और खेतों में छिड़क रहे हैं। लगातार मौसम में हो रहे बदलाव से जहां धान की फसल को फायदा हो रहा है, तो वहीं कीट प्रकोप, बीमारी से नुकसान भी हो रहा है। किसानों का आरोप है कि कृषि अधिकारी क्षेत्र का दौरा करने के बजाय घर बैठे आंकड़ा दुरुस्त करने में लगे रहते हैं।
किसान दवा का छिड़काव कर रहे हैं, पर बदली-बारिश के कारण कीटनाशक असर करने से पहले धुल जाते हैं। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। लगातार हो बारिश से अब धान के पौधों में रोग बढऩे की संभावना बढ़ गई है। धूप-छांव की स्थिति से किसान फसलों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
धान के खेतों में फैली बीमारी के संबंध में उचित सलाह नहीं मिलने से किसान परेशान हैं। जिले में कुछ दिनों से हल्की बारिश बदली से उमस का वातावरण है। पहले बारिश होने से धान की खेती प्रभावित हुई। देर से बोनी होने से खेती का काम पिछड़ता गया। पहले किसान अकाल की आशंका से घबराए थे। निंदाई, गुड़ाई के बाद धान के बड़े होते लहलहाते पौधे देखकर किसानों के चेहरे खिल उठे थे, लेकिन मौसम की मार से अब धान के खेत में कीट प्रकोप ने उनकी चिंता बढ़ा दी है।
पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश होने खेतों में पानी भरा होने से बीमारी, कीट प्रकोप की संभावना बढ़ गई है। मौसम की बदली से खेतों में झुलसा, तना छेदक, ब्लास्ट, ऊपरी हिस्सा सूखने की बीमारी शुरू हो गई है। तना छेदक में कीट धान के पौधों के बीच में पैदा होकर पौधे के तने को निशाना बनाते हंै। उसे छेदकर पौधे को ही नष्ट कर देता है। पत्ती मोड़क कीट प्रकोप से पत्तियां सफेद धारीदार हो जाती हैं, कीट अन्य पत्तियों को चिपकाकर खोल बना कर रहता है तथा पत्ती के हरे भाग को खाकर नष्ट कर देता है। धान में शीत ब्लास्ट, झुलसा रोग तनाछेदक हो सकता है। किसान खाद दुकानों से दवा लेकर खेतों में छिड़काव कर रहे हैं। धान के पौधों में लगी बीमारी से छुटकारा नहीं मिल रहा है, जिससे वह परेशान हैं।
बारिश से उन्हें फायदा कम नुकसान ज्यादा होता दिखाई दे रहा है। ग्राम पुटपुरा के किसान उत्तम राठौर ने बताया धान के पौधे में ऊपरी हिस्सा सूखने की बीमारी हो रही है। इसको लेकर दवा का छिड़काव किया जा रहा है। इसके बावजूद स्थिति जस के तस है। वहीं पेंड्री के दाताराम कश्यप का कहना है कि किसानों के खेतों में हुए कीट प्रकोप को दूर करने कई बार दवा का छिड़काव किया जा चुका है, लेकिन दवा भी अपना अपना असर नहीं दिखा रही है। इस समस्या से कृषि विभाग को कोई सरोकार नहीं है।
क्या है धान का झुलसा- पत्तियों, बाली की गर्दन एंव तने की निचली गठानों पर प्रमुख रूप से दिखाई देते हैं। प्रारंभिक अवस्था में निचली पत्तियों पर हल्के बैंगनी रंग के छोटे-छोटे धब्बे बनते हैं जो धीरे-धीरे बढ़कर आँख के समान बीच में चैडे व किनारों पर सँकरे हो जाते हैं। इन धब्बों के बीच का रंग हल्के भूरे रंग होता है। जिससे दानों के भरने पर असर पड़ता है। फसल काल के दौरान जब रात्रि का तापमान 20 से 22 व आद्र्रता 95 प्रतिशत से अधिक होती है तब इस रोग का तीव्र प्रकोप होने की संभावना होती है।

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