बापट ने बताया संघ के चुनाव में मतदान करने के बाद बाएं हाथ की अंगूठे की पास वाली अंगुली में ही स्याही का निशान लगाया जाता है। 2016 में हुए चुनाव में भी ऐसा ही किया गया था। संघ के चुनाव व लोकसभा, विधानसभा या फिर नगरीय निकाय के चुनावों के बीच पहली बार ऐसी स्थिति बन रही है जब स्याही को लेकर सोच-विचार करना पड़ रहा है। हमारा उद्देश्य सिर्फ यह है कि कोई भी अभिभाषक लोकसभा मतदान से इसलिए वंचित न हो जाए कि उसकी अंगुली पर पहले से ही स्याही लगी मिले, इसलिए हमने स्याही लगाने वाली अंगुली में बदलाव का फैसला लिया है, नहीं तो बाएं हाथ के अंगूृठे के बगल वाली अंगुली सिर्फ चुनाव आयोग के लिए ही नहीं है।
पिछले चुनाव से शुरू हुआ था स्याही का उपयोग अभिभाषक संघ का पिछला चुनाव वर्ष 2016 में हुआ था। इस चुनाव के दौरान ही पहली बार स्याही काउपयोग शुरू किया गया। इससे पहले मतदाता सूची व रसीदों के आधार पर मतदान करने वालों का लेखा-जोखा रखा जाता था।