व्यासपीठ से पं. संदीप गोपाल कृष्ण नागर ने कहा कि भगवान कृष्ण से आप कोई भी संबंध बना सकते हो जैसे कोई भगवान कृष्ण को भाई मानता है, कोई पिता, तो कोई पति पर अन्य देवी देवता से आप सेवक व भगवान के अलावा और कोई संबंध नहीं बना सकते। श्री नागर ने कहा कि भगवान कृष्ण ने गीता में भी कहा है हजार हजारों में कोई बिरला मनुष्य ही मुझे जानने का प्रयास करता है। कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए महाराज श्री ने धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महता पर प्रकाश डाला। 84 लाख योनियां भुगतने के पश्चात मानव देह की प्राप्ति होती है तथा स्वंय भगवान भी मानव देह को पाने की कामना रखते है। इसलिए इस देह को उपयोग व्यर्थ कामों मे ना करके जनकल्याण व ईश्वर भक्ति में समर्पित कर दे। इस अवसर पर जब बालगोपाल बने बालक ने पंडाल में बनी झांकी में बैठाया गया तो सभी भक्तों ने नंद के आंनद भयो जय कन्हैयालाल की की गुंज से व नाचते-गाते हुए पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। आरती के बाद प्रसादी का वितरण किया गया। कथा 13 अप्रैल तक प्रतिदिन दोपहर 2 से 6 बजे तक चलेगी।