मन्दिर से आरंभ हुई यात्रा की प्रथम पंक्ति में धर्म ध्वजा एवं हाथों में फरसा लिए ब्राह्मण बटुक चल रहे थे। फिर पीली वेशभूषा में समाज की महिलाएं कीर्तन कर रही थी। तत्पश्चात परशुराम भगवान का रथ व समाज के विशिष्ट जन चल रहे थे। यात्रा का मुख्य बाजार में श्रीराम पाटीदार द्वारा, गांधी चौक पर विमल पडियार द्वारा स्वागत किया गया। समापन वागयोग चेतना पीठम पर हुआ। जहां रथ व परशुराम व भगवान वागेश्वर का मंत्रोच्चार के साथ पूजन व समाजजन द्वारा आरती की गई। तपश्चात सभा आयोजित की गई। जिसे संबोधित करते हुए मुकुंद मुनि पंडित रामाधार द्विवेदी ने कहा कि भगवान परशुराम का आदर्श चरित्र प्रत्येक युग और देश में सदा प्रासंगिक है। वे यथार्थ की कठोर प्रस्तर शिला पर सुप्रतिष्ठित हैं और मानव मन की फूल से भी कोमल तथा वज्र से भी कठोर.अन्त: वृत्तियों के संवाहक हैं। उनका चरित्र जन जन तक पहुंचना आवश्यक है।
आचार्य राजेश्वर महाराज ने भगवान परशुराम के जीवन का उल्लेख करते हुए बताया कि वे क्रोधी नहीं बल्कि दीनहीनों पर दया करने वाले व शस्त्र शास्त्र के ज्ञाता थे। उन्होंने बताया यात्रा भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में निकाली जा रही है। यात्रा का उद्देश्य ब्राह्मण समाज को भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे ब्राह्मणों को संगठित करना है। इस दौरान ओम प्रकाश शर्मा, देवेंद्र उपाध्याय, सुनील दत्त जोशी ने भी संबोधित किया। यात्रा के संयोजक आचार्य राजेश्वर महाराज को समाजजन द्वारा पुष्पहार व दुपट्टा भेंटकर सम्मानित किया।
ये रहे उपस्थित इस दौरान डॉ सुनील उपाध्याय इंद्रनारायण पंचोली, गोपाल पंचोली, पंडित अनिल शर्मा, मुकेश शर्मा, देवीशंकर तिवारी, गोपी शर्मा, विपिन शर्मा, सोमेश उपाध्याय, दीपक उपाध्याय, सचिन उपाध्याय, तरुण शर्मा, रजत पाठक, राहुल शर्मा, केशव उपाध्याय, सार्थक दाधीच, शिवराज उपाध्याय, उत्तम आचार्य आदि समेत बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रवक्ता राकेश नागौरी ने किया। आभार सोमेश उपाध्याय ने माना।