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नाव जब्त की, धर्मशाला तोड़ी, दुकानदार भी हटेंगे

locationदेवासPublished: Apr 05, 2019 12:59:40 pm

Submitted by:

Amit S mandloi

– 12 साल बाद धाराजी में प्रशासन ने दिखाई सख्ती

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हाटपीपल्या.संतोष वर्मा

धाराजी में 12 साल बाद प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। यहां पर स्नान के लिए पहले से ही प्रतिबंध लगा हुआ है व प्रशासन ने धारा 144 लगा रखी है, लेकिन फिर भी लोग जान जोखिम डालकर स्नान के लिए आते थे। लोगों की आवजाही देख कुछ लोगों ने जोखिम के बाद भी यहां पर धर्मशाला निर्माण कर ली थी। साथ ही दुकान व अन्य स्थान विकसित कर लिए थे। आखिरकार बुधवार को प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए कई निर्माण कार्यों को तोड़ दिया। 12 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद कलेक्टर श्रीकांत पांडे व पुलिस अधीक्षक देवास ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया।
जेसीबी मशीन से बागली राजस्व अधिकारी अजीत श्रीवास्तव व पुलिस एसडीओपी एसएल सिसोदिया के निर्देशन में उदयनगर पुलिस बल के सहयोग से धर्मशाला भवनों को तोड़ा गया। वहीं यहां संचालित नाव भी जब्त कर ली गई। यहां पर किराना दुकान संचालित करने वालों को भी हटाने के निर्देश दे दिए। वर्तमान में घाट किनारे ऐसी कोई बिल्डिंग भवन नहीं छोड़ें, जहां पर श्रद्धालु ठहर सके या विश्राम कर सके। 12 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद यह कार्रवाई होना प्रशासन की सख्ती एवं दूरदर्शिता का परिणाम है। वास्तव में यहां पर न चाहते हुए भी स्नान पर्वों पर स्नान करने वालों की संख्या बढ़ जाती है, विगत 3 माह पूर्व भी एक व्यक्ति की जान घाट का नहाते समय चली गई। घटनाएं घटती जा रही है लेकिन श्रद्धालु है कि मान नहीं रहे।
कई घाट धंसने के कगार पर

अप्रैल 2005 में धाराजी नामक स्थान पर जहां कभी क्षेत्र का सबसे बड़ा विहंगम मेला आयोजित होता था, विशेषकर भूतड़ी अमावस्या पर लगने वाले मेले में दो लाख से अधिक श्रद्धालु आते थे, लेकिन पुनासा डेम से पानी छोड़े जाने की घटना ने कई जानो को ले लिया था। इसके बाद से ही ओकारेश्वर परियोजना अस्तित्व में आने लगी। पुनासा बांध से छूटा हुआ पानी व ओंकारेश्वर परियोजना से बैक वाटर हुआ पानी यहां पर जलजमाव स्थिति में आ गया है। वर्तमान में मध्य नर्मदा स्थल पर लगभग 200 मीटर पानी भरा हुआ है इसके चलते आसपास के पीली मिट्टी युक्त घाट धीरे धीरे पानी के अंदर रिसाव चलते हुए धंसने की कगार पर आ गए हैं, जिस कारण कभी भी बड़ा हादसा किनारे वाले क्षेत्र में घट सकता है। भूगर्भीय हलचल के साथ जमीन धंस सकती है। यह सब चेतावनी वैज्ञानिकों द्वारा पूर्व से दी गई है। इसी के चलते अप्रैल 2007 में अंतिम स्नान पर्व के बाद से ही यहां पर धारा 144 लगाकर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन जनप्रतिनिधि एवं धार्मिक आस्था के चलते यहां पर कुछ भवन बने हुए थे। धर्मशाला भी निर्मित थी, 2 दर्जन से अधिक परिवार निवास भी कर रहे हैं, किराने की 3 छोटी दुकानें संचालित होती थी एवं एक नाव जिसमें 15 से 20 लोग सवार होकर उस पर जा सकते वह घाट पर खड़ी रहती है।
योनि कुंड स्थल को देखने अवश्य आते

हालांकि दबी जबान में क्षेत्र के नागरिकों ने प्रशासन की इस हरकत की कड़ी निंदा की है उनका कहना था कि धारा 144 निश्चित दिनांक निश्चित तिथि पर रहती है शेष दिनों में दूरदराज से श्रद्धालुओं एवं पर्यटक जो कावडिय़ा पर्वत स्थान को निहारने आते हैं वह नर्मदा के योनि कुंड स्थल को देखने अवश्य आते हैं उनके साथ महिला बुजुर्ग एवं बच्चे रहते हैं ऐसे में विश्राम के लिए कुछ पुरानी जगह बनी हुई थी उसे तोडऩा तानाशाही निशानी है। कई लोगों का मानना है कि शासन.प्रशासन बदल जाने पर ऐसी प्रक्रिया होना लाजमी है। हालांकि तीसरी क्षेत्र के सक्रिय व बोल बम कावड़ यात्रा के प्रभारी गिरधर गुप्ता ने बताया कि यहां निर्मित धर्मशाला में कावड़ यात्रियों की राशि लगी हुई थी, विगत 20 वर्षों से निकलने वाली कावड़ यात्रा से एकत्रित राशि से या धर्मशाला निर्मित हुई है यह आस्था पर प्रहार है वहां पर 9 परिवार ऐसे हैं जो मुआवजे के लिए दर.दर भटक रहे हैं किंतु मुआवजा नहीं मिला। यहां के रहवासियों में धाराजी की पटलन गेंदाबाई व उसका परिवार है बुधवार को की गई कार्रवाई में अधिकारियों ने शॉर्ट नोटिस पर एक गरीब आदिवासी की दुकान तोड़ी, दूसरा नर्मदा के घाट पर संतो की भी दीवार तोड़ी गई।
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