scriptमुक्तिधाम में गफलत… दो चिताओं से अस्थियां गायब, एक की पास से मिलीं, दूसरे की नहीं मिल पाईं | Bones missing from two pyre, found near one, other could not be found | Patrika News

मुक्तिधाम में गफलत… दो चिताओं से अस्थियां गायब, एक की पास से मिलीं, दूसरे की नहीं मिल पाईं

locationदेवासPublished: Sep 21, 2019 11:56:50 am

Submitted by:

mayur vyas

-लोगों ने निगम की व्यवस्थाओं पर जताई नाराजगी, पुलिस भी पहुंची मौके पर

ddewas

patrika

देवास. कुछ देर के लिए लोगों के मन में वैराग्य जगाने और शांत क्षेत्र के रूप में माने जाने वाले मुक्तिधाम में शुक्रवार सुबह हंगामा हो गया, इसकी वजह भी बड़ी हैरान करने वाली है। मुक्तिधाम में दो लोगों का अंतिम संस्कार किया गया था। जब परिजन अस्थियां लेने के लिए पहुंचे तो दोनों की चिताओं से अस्थियां व राख गायब थी। यह देखकर परिजन पहले तो सकते में आ गए फिर वहां मौजूद कर्मचारियों पर नाराजगी जताते हुए भड़ास निकाली। सूचना मिलने पर नगर निगम की टीम व नाहर दरवाजा थाने से पुलिस भी मौके पर पहुंची और समझाइश देकर मामला शांत करवाया। हालांकि बाद में एक चिता की अस्थियां वहीं पास से मिल गईं जबकि दूसरी चिता की अस्थियां नहीं मिल सकीं।
जानकारी के अनुसार १३ चिताओं के स्टैैंड वाले मुक्तिधाम में आखिरी के स्टैंड नंबर की ओर मेंढकी रोड निवासी रत्नेश व ओम सांईनगर निवासी वृद्धा लीली रानी आजाद का अंतिम संस्कार किया गया था। इन्हीं के पास एक लावारिस व्यक्ति का भी दाह संस्कार हुआ था। तीसरे पर शुक्रवार को मेंढकी रोड व गौतमनगर से परिजन जब अस्थियां एकत्रित करने के लिए मुक्तिधाम पहुंचे तो दोनों ही जगह से अस्थियां व राख गायब मिली। इससे हडक़ंप मच गया और परिजन नाराज होने लगे, मौके पर तैनात कर्मचारियों से पूछताछ की गई तो वो भी गोलमोल जवाब देने लगे। सूचना मिलने पर नगर निगम स्वास्थ्य अधिकारी भूषण पंवार व टीम पहुंची। वहीं नाहर दरवाजा थाने से पुलिस बल भी आया। काफी देर की गहगागहमी के बाद रात्रिकालीन ड्यूटी वालों से पता चला कि रत्नेश की चिता की अस्थियां समेटकर पास में एक बोरी में रख दी गई थीं। वहीं दूसरी चिता की अस्थियां गलती से वो व्यक्ति ले गए हैं जो लावारिस शवों का दाह करके उनकी अस्थियां शिप्रा में प्रवाहित करते हैं।
चिता स्टैंड की रॉड से एकत्रित की राख
लीली रानी आजाद के पुत्र राकेश आजाद ने बताया उनकी माता की अस्थियां नहीं मिल सकीं। इसके बाद वहीं पर पूजा-पाठ किया और चिता स्टैंड के लोहे के रॉड में जो राख एकत्रित थी उसे एकत्रित करके उज्जैन जाकर प्रवाहित किया।
वर्जन
भूलवश हुईं अस्थियां इधर से उधर
मुक्तिधाम में हंगामे जैसी कोई बात नहीं हुई थी। परिजन अपनी बात रखते हुए कुछ नाराजगी जता रहे थे। असल में भूलवश लावारिस शव की अस्थियां वहीं रह गई थीं और उसकी जगह दूसरे की चिता की अस्थियां उठा ली गई थीं।
-हरेंद्रसिंह ठाकुर, सहायक स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो