– संत से संवाद- गणाचार्य से गुलाब कोठारी की मुलाकात
देवास। गणाचार्य पुष्पदंत सागरजी ने कहा है, ‘महिलाओं को अपने स्वभाव की ओर देखना होगा क्योंकि बच्चों के संस्कार मां के स्वभाव से बंधे रहते हैं। मां जब तक भौतिकता की तरफ देखती रहेंगी तब तक बच्चे बिगड़ते रहेंगे। मां को चाहिए कि घर का भोजन कभी रसोईए से न बनवाएं। मां के हाथों से बने भोजन में अपनत्व व आत्मीयता होती है। इसे ग्रहण करके बच्चा संस्कारवान बनता है।’
आचार्यश्री ने यह बात पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी से संवाद में की। मध्यप्रदेश प्रवास के दौरान कोठारी ने पुष्पगिरी तीर्थक्षेत्र पहुंचकर आचार्यश्री का आशीर्वाद लिया। कोठारी ने उन्हें अपने नए ग्रंथ ‘गीता विज्ञान उपनिषद्’ की प्रति भेंट की। आचार्यश्री ने कहा, ‘आपका चिंतन और आपकी कलम पूरी तरह से भारतीय संस्कृति की मिट्टी और संस्कारों से जुड़ी है।’
यह भी बोले गणाचार्य 1. आज केजी में पढ़ने वाले बच्चे भी सुविधा संपन्न स्कूलों में पढ़ रहे हैं। इससे उनमें संघर्ष करने का जज्बा ही पैदा नहीं हो पाता।
2. मोबाइल के उपयोग और ऑनलाइन पढ़ाई चुनौती बन चुकी है। बच्चे एक अच्छी बात सीखने के साथ-साथ नौ अनुचित चीजें भी सीख रहे हैं।
3. एक से चौदह साल के बच्चों को संस्कारी बनाने के लिए हमें पुरानी पद्धति से ही शिक्षा देनी चाहिए।