गौरतलब है कि बीते दिनों पुलिस विभाग में तबादले हुए थे। मप्र शासन द्वारा तो बड़े अधिकारियों के तबादले किए जा रहे थे मगर स्थानीय स्तर पर एसपी द्वारा आरक्षकों से लेकर निरीक्षकों तक के तबादले किए गए। कुछ मामलों में तबादलों के बाद संशोधन भी हुए और कुछ केस ऐसे आए जिनमें तबादला होने के बावजूद पुलिसकर्मी शहर में दिखाई दिए। इसके चलते सवाल उठे। यहां तक कहा जाने लगा कि कांग्रेस नेताओं के दखल के कारण ऐसा हो रहा है। सत्ता में आने के बाद कांग्रेसी तबादलों में ज्यादा रूचि ले रहे हैं जिसके चलते तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
टीआई की पोस्टिंग को लेकर खींचतान सूत्रों के मुताबकि ताजा विवाद कुछ थानों के टीआई को लेकर हुआ। खातेगांव क्षेत्र के कांग्रेस नेता का एक टीआई की पोस्टिंग को लेकर विरोध जताया लेकिन कांग्रेस के ही एक विधायक उक्त टीआई के सपोर्ट में है। इसी तरह शहर के एक थाने के टीआई को लेकर भी मतभेद उभरे। हालात ऐसे बने कि तबादले के बाद संशोधन किया गया जिसके बाद तीन टीआई इधर से उधर हुए। खातेगांव का मामला उलझ गया और खातेगांव कांग्रेस के कुछ नेता भोपाल पहुंच गए। इधर एक मामले में कांग्रेस के ही एक विधायक ने प्रभारी मंत्री तक से शिकायत की गई। प्रभारी मंत्री जीतू पटवारी ने पुलिस अफसरों से बात की। सूत्रों का कहना है कि शहर कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी का नाम आया तो पटवारी ने यहां तक कहा कि वे कौन होते हैं। इस पूरे मामले ने कांग्रेस की अंतर्कलह तो उजागर की ही पुलिस विभाग की साख पर भी सवाल उठाए। बताया जा रहा है कि बात भोपाल गई है। सीएम कमलनाथ से यदि बात न भी हो पाई तो पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को मामले की जानकारी दी जाएगी। इसके चलते कांग्रेस में उथल-पुथल मची हुई है।
हो रही चर्चा-तबादलों के पीछे कौन सूत्रों के मुताबिक नवागत एसपी चंद्रशेखर सोलंकी ने पुलिस का बिगड़ा ढांचा सुधारने की कोशिश की। एक डीएसपी के पर भी कतरे गए। उक्त डीएसपी का जिले के दो थानों में दखल था और चर्चा हो रही थी कि थाना वे ही चला रहे हैं। उन दो थानों के टीआई बदले गए। इसी तरह क्राइम ब्रांच जिस पर आएदिन आरोप लगते थे उस टीम को भी अलग-अलग जगह ट्रांसफर कर भेजा। हालांकि देवास के ही डीएसपी रैंक के एक अधिकारी से नजदीकी के चलते क्राइम ब्रांच के कुछ पुलिसकर्मी गत दिनों देवास की कार्रवाई में शामिल थे क्राइम ब्रांच की टीम को अलग-अलग थानों पर भेजा गया है। इसी तरह भाजपा के एक नेता का अतिक्रमण हटाने के मामले में एसपी की तारीफ हुई और अपडाउन रोकने, थाना प्रभारियों से सख्त रवैये को लेकर उनकी प्रशंसा हुई। लेकिन तबादलों के मामले में उल्टा हुआ। एक आरक्षक का दो बार तबादला हुआ तो हाल ही में हुए निरीक्षकों के तबादले में कांग्रेस नेताओं के हस्तक्षेप की बात आई । इसे लेकर अब विभाग में ही चर्चाएं चल रही है।
न प्रभारी मंत्री आए न गृह मंत्री चर्चा एसपी ऑफिस के लोकार्पण को लेकर भी हो रही है। उक्त आयोजन को लेकर कांग्रेस नेताओं के साथ ही पुलिस भी कटघरे में आई है। एसपी ऑफिस के लोकार्पण में न प्रभारी मंत्री आए नही गृह मंत्री। सूत्रों के मुताबिक प्रभारी मंत्री और गृह मंत्री भी इस घटनाक्रम से नाराज है। प्रभारी मंत्री पटवारी के समर्थक नेता दबीजुबान कह रहे हैं कि यह गलत तरीका है। उनको बुलाना चाहिए था। कहा तो यहां तक जा रहा है कि जिस दिन एसपी ऑफिस का लोकार्पण हुआ उसी दिन गृह मंत्री बाला बच्चन ने पुलिस अधिकारियों से बात भी की थी। इधर पुलिस अधिकारियों ने आचार संहिता का तर्क दिया था। कांग्रेसी खेमे में यह चर्चा भी हुई कि जब लोनिवि मंत्री सज्जन सिंह वर्मा आए तो उनके साथ स्थानीय भाजपा विधायक गायत्रीराजे पवार भी थी मगर कांग्रेस विधायक व पटवारी समर्थक मनोज चौधरी गायब थे जिसे लेकर कहा गया कि प्रभारी मंत्री की उपेक्षा के कारण विधायक भी नहींं आए। पूरा कार्यक्रम लोनिवि मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के इर्द-गिर्द ही रहा था। हैरानी इस बात की हुई थी कि इसके पहले भी कई मौकों पर प्रभारी मंत्री पटवारी देवास शहर से दूर ही रहे हैं जिले लेकर कांग्रेस की आपसी खींचतान उजागर होने लगी है।
समर्थक बोले- कांग्रेस मंत्री नहीं उठाते फोन इस मामले को लेकर कांग्रेस नेताओं ने फोन नहीं उठाए। गृह मंत्री बाला बच्चन, प्रभारी मंत्री जीतू पटवारी, जिलाध्यक्ष श्याम होलानी ने फोन नहीं उठाया। । समर्थकों से पूछने पर जवाब मिला कि कांग्रेस के मंत्री कम ही फोन उठाते हैं। इधर एसपी चंद्रशेखर सोलंकी को भी फोन लगाया मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया। आईजी राकेश गुप्ता से बात की तो उन्होंने कहा कि इस मामले में देवास एसपी ही कुछ बता सकेंगे। शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी ने कहा कि आप जो पूछ रहे हो इस विषय में मुझे कोई जानकारी नहीं है। न तो मैं ट्रांसफर करवाता हूं न रोकता हूं। एसपी ऑफिस के लोकार्पण के मामले में प्रोटोकॉल के नाते स्थानीय विधायक थी।