मानसिक कमजोर-दिव्यांग बच्चों की खिलेगी मुस्कान.. 60 लाख की लागत से बन रहा डीईआईसी सेंटर, मशीनों से लेकर मनोरंजन तक के रहेंगे इंतजाम
करीब एक दर्जन लोगों का स्टॉफ मिलेगा, परिजनों को इंदौर की भागदौड़ से मिलेगी मुक्ति, ट्रामा सेंटर की ऊपरी मंजिल में चल रहा काम
देवास
Published: June 09, 2022 02:19:16 pm
सत्येंद्रसिंह राठौर. देवास
मानसिक रूप कमजोर व दिव्यांग बच्चों के चेहरे पर मुस्कान खिलेगी। न सिर्फ उनको बल्कि परिजनों को भी उपचार के लिए होने वाली इंदौर की भागदौड़ से मुक्ति मिलेगी। इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत देवास में डीईआईसी (डिस्ट्रिक अर्ली इंटरवेंशन सेंटर) भवन का निर्माण किया जा रहा है। करीब 5 हजार स्क्वेयर फीट का यह भवन 60 लाख रुपए की लागत से तैयार होगा। इस भवन में विशेषज्ञ डॉक्टर, अत्याधुनिक मशीनों सहित खेलकूद व मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध रहेंगे।
डिस्ट्रिक अर्ली इंटरवेंशन सेंटर (जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र) निर्माण के लिए जिला अस्पताल से लगे ट्रॉमा सेंटर की ऊपरी मंजिल का चयन किया गया है। यहां पर करीब 5 हजार स्क्वेयर फीट जगह पर अलग-अलग कमरे, हॉल आदि तैयार किए जा रहे हैं। देवास जिले में 2014 से संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत अभी तक इसका खुद का न तो भवन है न ही जरूरत के हिसाब से स्टॉफ, सुविधाएं भी लगभग न के बराबर हैं। मैनेजर व एक अन्य के सहारे जिला मुख्यालय पर काम चल रहा है और अधिकांश गंभीर मामलों में बच्चों को इंदौर रैफर करने की स्थिति बन रही है। अब देवास में ही भवन बनने व सुविधाएं उपलब्ध होने पर परिजनों को इंदौर आने-जाने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। यहां डॉक्टर के केबिन, मशीनों के कमरे, वेटिंग हॉल, प्ले एरिया सहित अन्य कक्ष बनाए जाएंगे। भवन बनने के बाद करीब एक दर्जन लोगों का अलग से स्टॉफ यहां के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा। अगले तीन-चार माह में काम पूरा हो जाने की उम्मीद जताई जा रही है। बच्चों के हिसाब से साज-सज्जा का काम भवन बनने के बाद एमपी टूरिज्म के माध्यम से कराया जाना प्रस्तावित है।
हर ब्लॉक में दो-दो टीमें करती हैं काम
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग के हर ब्लॉक में दो-दो टीमें काम करती हैं। इनके द्वारा स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों की स्क्रीनिंग की जाती है। जन्म से दिव्यांगता जैसे हाथ-पैर टेढ़े, कुपोषित बच्चों व अन्य गंभीर बीमारियों से पीडि़त बच्चों की पहचान की जाती है और उनको जिला स्तर पर रैफर करवाया जाता है। यहां से गंभीर मामलों में बच्चों को उपचार के लिए इंदौर रैफर किया जाता है।
ये सुविधाएं रहेंगी सेंटर में
-फिजियोथेरेपिस्ट व मशीनों का पूरा सेटअप।
-मानसिक कमजोर बच्चों के लिए स्पेशल एज्युकेटर।
-डेंटल डॉक्टर व उपचार का सेटअप।
-एसएनसीयू में भर्ती सभी बच्चों व अन्य की जांच के लिए ऑडियोलॉजिस्ट।
-स्पीच थेरेपिस्ट।
वर्जन
करीब ५ हजार स्क्वेयर फीट का भवन ६० लाख की लागत से तैयार किया जा रहा है। अगले तीन माह में काम पूरा होने की उम्मीद है। भवन का काम पूरा होने के बाद साज-सज्जा के लिए एमपी टूरिज्म द्वारा काम करवाया जाएगा।
-उमेश शर्मा, उपयंत्री एनएचएम।
ट्रॉमा सेंटर के ऊपरी हिस्से में डीईआईसी सेंटर का काम चल रहा है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों के उपचार के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं व स्टॉफ यहां उपलब्ध रहेगा। इससे बच्चों व परिजनों को काफी सुविधा होगी।
-डॉ. वी.के. सिंह, सिविल सर्जन।

मानसिक कमजोर-दिव्यांग बच्चों की खिलेगी मुस्कान...देवास में 60 लाख की लागत से 5000 स्क्वेयर फीट में बन रहा डीईआईसी सेंटर, मशीनों से लेकर मनोरंजन तक के रहेंगे इंतजाम,मानसिक कमजोर-दिव्यांग बच्चों की खिलेगी मुस्कान...देवास में 60 लाख की लागत से 5000 स्क्वेयर फीट में बन रहा डीईआईसी सेंटर, मशीनों से लेकर मनोरंजन तक के रहेंगे इंतजाम
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