कांग्रेस ने इस बार देवास-शाजापुर लोकसभा सीट से भजन गायक प्रहलाद टिपानिया (Prahlad Tipanya) को प्रत्याशी बनाया है। यह कबीर पंथी हैं और भजनों से पहले ही लोकप्रिय हैं। वे इन दिनों कबीर के भजन गाकर वोट मांग रहे हैं। वे जहां भी जाते हैं भजन मंडली भी साथ ले जाते हैं। इस कारण लोग उनके भजन सुनने के लिए ठहर जाते हैं और वे अपने पक्ष में वोट मांग लेते हैं। वे भजन गाकर पहले से ही फेमस है इसलिए उन्हें भीड़ जुटाने की मशक्कत भी नहीं करना पड़ती है। लोग उनके भजनों के दीवाने हैं।
देवास के रहने वाले प्रहलाद टिपानिया प्रख्यात कबीर भजन गायक होने के साथ ही विज्ञान विषय के शिक्षक हैं। वे जब भी प्रचार करने निकलते हैं तो उनका मंच देखकर लगता ही नहीं है कि वे कोई नेता या प्रत्याशी हैं। ऐसा लगता है कि यहां कोई भजन कीर्तन का कार्यक्रम हो रहा है।
कबीर के भजनों से देते हैं राजनीति का संदेश
प्रहलाद टिपानिया कबीर के भजनों के माध्यम से अच्छाई और बुराई का संदेश देते हैं। वे इसके साथ ही राजनीतिक बातों का भी उल्लेख कर देते हैं। हालांकि उनके भजन और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना उन्हें इस चुनाव में कितना फायदा पहुंचाएगा, लोग उनके भजनों से कितना प्रभावित होंगे, यह तो वक्त ही बताएगा।
देवास से प्रत्याशी हैं प्रहलाद टिपानिया
-मालवा क्षेत्र के प्रहलाद टिपानिया को भजन के जरिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है।
-कबीर के ही भजनों के कारण उन्हें देश के अन्य प्रांतों में और यहां तक कि अमेरिका समेत कई देशों में शो करने का मौका मिला।
-टिपानिया के भजन के विदेशी लोग भी दीवाने हैं, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक प्रोफेसर सारा यहां आई और उनकी शिष्या बन गईं। साथ ही अपना नाम बदलकर अंबा सारा भी रख लिया था। वे इस समय कबीर के भजनों का अंग्रेजी में अनुवाद कर रही हैं।
पद्मश्री से हुए थे सम्मानित
2011 में प्रहलाद टिपानिया को सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था। राजनीति से उनका विशेष ताल्लुक नहीं है, लेकिन उनके पिता कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। प्रहलाद के एक भाई जनपद में प्रतिनिधि थे और उनका बेटा तराना ब्लॉक में कांग्रेस की आईटी सेल का अध्यक्ष रह चुका है।
बलई समाज के हैं टिपानिया
देवास लोकसभा क्षेत्र में प्रहलाद टिपानिया अपने समाज का लोकप्रिय चेहरा हैं। वे बलई समाज से हैं। इस क्षेत्र में 3.50 लाख वोटर्स बलई समाज के ही हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यहां ढाई लाख वोट से हार गई थी, लेकिन पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में 40 हजार वोटों की कांग्रेस को बढ़त मिली थी।