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किर्गिस्तान में फीस नहीं जमा की तो परीक्षा से किया वंचित, पासपोर्ट वीजा व अन्य दस्तावेज भी किए जब्त

locationदेवासPublished: May 30, 2020 02:38:32 pm

पिता ने मध्यप्रदेश के सीएम और गृहमंत्री से अपनी बेटी मेरियन को घर वापस लाने के लिए गुहार लगाई

किर्गिस्तान में फीस नहीं जमा की तो परीक्षा से किया वंचित, पासपोर्ट वीजा व अन्य दस्तावेज भी किए जब्त

किर्गिस्तान में फीस नहीं जमा की तो परीक्षा से किया वंचित, पासपोर्ट वीजा व अन्य दस्तावेज भी किए जब्त

देवास/हाटपीपल्या। देवास जिले के हाटपीपल्या की बेटी मेरियन एमबीबीएस की पढ़ाई करने किर्गिस्तान गई। मध्य प्रदेश की बेटी मेरियन हालातों के भवर में इस तरह फंस गई कि निकल ही नहीं पा रही है। पहले कालेज मेडिकल इंस्टीट्यूस किर्गिस्तान में छात्रा से किए वादे पूरे नहीं किए और बकाया फीस निकाल दी एक लाख सत्तर हजार रुपए।
जानकारी के अनुसार पिता नीरज दास ने बताया कि मेरी बेटी का एडमिशन 2018 में मैंने करवाया था, जिस पर मुझे कॉलेज के द्वारा प्रबंधन ने बताया था कि संपूर्ण फीस में से हमारी सरकार द्वारा स्कॉलरशिप 1 लाख सत्तर हजार रुपए माफ कर दी जाएगी, परंतु ऐसा नहीं हुआ और मुझे कहा गया कि अब 1 लाख सत्तर हजार रुपए भर दीजिए, अन्यथा आप की बेटी को परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा। इसके लिए मैंने प्रबंधन से बार बार निवेदन किया कि में बची हुई 1 लाख सत्तर हजार रुपए फीस जमा कर दूंगा। अभी मेरी स्थिति अच्छी नहीं है, आप मेरी बेटी को परीक्षा से वंचित ना करें, परंतु प्रबंधन ने एक नहीं मानी और बेटी को फीस जमा नहीं करने पर परीक्षा से वंचित कर दिया। जब छात्रा ने घर जाने की इच्छा जताई तो प्रबंधन ने पासपोर्ट वीजा अन्य दस्तावेज जब्तकर लिए। अब छात्रा मेरियन और उसके मां.बाप गुहार लगा रहे हैं कि बेटी की घर वापसी कराई जाए।
हाटपीपल्या में रहने वाली पर्ल रीना पति नीरज उफऱ् मुन्ना ने बेटी मेरीयन को एमबीबीएस के लिए किर्गिस्तान के कांट स्थित एशियन मेडिकल इंस्टीट्यूस में भेजा था, उसका चयन विद्या पोर्टल के माध्यम से हुआ था। भेजने से पहले दास परिवार ने बच्ची की पढ़ाई के लिए बैंक में लोन का आवेदन किया था। बैंक का कहना था कि आप बच्ची भेज दो, लोन हो जाएगा, लेकिन बैंक ने भी ऐसा नहीं किया। फिर उन्होंने अपना मकान गिरवी रख कर बच्ची को भेजा। होस्टल से भी निकाल दियादास दंपत्ति ने बताया कि मजबूरी में हमें पाच लाख रुपए में घर गिरवी रखना पड़ा। बेटी ने एक सेमिस्टर तो अच्छे से पास कर लिया लेकिन दूसरे के लिए 1 लाख सत्तर हजार रुपए फीस नहीं भर पाई तो उसे परीक्षा से बाहर निकाल दिया और परीक्षा में बैठने नहीं दिया और होस्टल से भी निकाल दिया, इस पर दोस्तों ने मेरी मदद कर घर ठहरने का इंतजाम किया अन्य छात्रों ने जब घर जाने की इच्छा जताई तो कालेज प्रबंधन ने सभी छात्रों के पासपोर्ट वीजा अन्य दस्तावेज जब्त कर लिए और घर भेजने से इनकार कर दिया। छात्रा मेरियन ने वहां भारतीय दूतावास के भी कई चक्कर लगाए मेरियन का कहना है कि दोस्त ने ठहरने की व्यवस्था कर दी, नहीं तो क्या होता, सोच कर डर जाती हूं। घर जाने के लिए मैंने कई बार दूतावास, वहां के संबंधित थाना कलेक्टर सभी जगहों पर चक्कर लगाए लेकिन सुनवाई नहीं हुई। नीरज दास ने कहा है कि मैने हाटपीपल्या थाना पर आवेदन दिया है और कल कलेक्टर से भी निवेदन करुंगा। मेरी बेटी को लाने के लिए कुछ भी करना पड़े मैं करुंगा। सरकार से निवेदन करता हूं कि मेरी बेटी को घर वापसी लाने में मेरी मदद करें। दास परिवार ने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया।
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