जानिए किस महान स्वतंत्रता सेनानी की भारत में दूसरी प्रतिमा का हुआ देवास जिले में अनावरण
-देवास जिले के बोरखाल्या में समाजजनों द्वारा लगाई गई, समाज के लक्ष्मीनारायण ने दान की है जमीन
देवास
Published: April 18, 2022 03:09:59 pm
देवास/पुंजापुरा. आमु आखा एक छै ए रेंगू दादा अमर रहे अमर रहे, एक तीर एक कमान आदिवासी एक समान आदि नारों के साथ पुंजापुरा के समीप ग्राम बोरखाल्या में लालघाटी पर ब्रिटिश गुलामी के खिलाफ विद्रोह करने वाले स्वतंत्रता सेनानी वीर रेंगू कोरकू की प्रतिमा का अनावरण आदिवासी समाज द्वारा किया गया। लालघाटी बोरखाल्या में पूरे भारत की दूसरी प्रतिमा की स्थापना की गई है। इससे पहले मप्र के डेढ़तलाई बुरहानपुर में प्रतिमा की स्थापना की गई थी।
प्रतिमा स्थापना हेतु जमीन आदिवासी समाज के लक्ष्मीनारायण द्वारा दान की गई है। सर्वप्रथम समाज के बुजुर्गों द्वारा ज्वार के दाने, नीम के पत्ते, पानी द्वारा पूजा अर्चना की गई। मूर्ति अनावरण के बाद आम सभा का आयोजन किया गया। विभिन्न जिलों से पधारे सामाजिक वक्ताओं ने स्वतंत्रता सेनानी वीर रेंगू कोरकू के जीवन और संघर्ष पर अपना वक्तव्य दिया। बुरहानपुर के सामाजिक कार्यकर्ता तुलसीराम गौतम ने कहा सहयाद्रि व सतपुड़ा पर्वत के गोंड भूभाग पर 27 हजार गांवों में एक साथ ग्राम सभा का आयोजन टंट्या भील और रेंगू कोरकू द्वारा किया जाता था। इन्होंने 27 पत्र ब्रिटिश हुकूमत को लिखे थे। अंग्रेजों द्वारा बनाया गया काला कानून हेरिडिटी एक्ट जिसमें आदिवासी समाज के लोगों को वंशानुगत अपराधी का दर्जा दिया गया था। उन्हें सरकारी नौकरी नहीं दी जाती थी। टंट्या भील के कहने पर रेंगू कोरकू ने ब्रिटिश हुकूमत को पत्र लिखकर कहा यदि टंट्या भील को पकडऩा हो तो टंट्या भील की समाज के लोगों को पुलिस में भर्ती करना पड़ेगा और पहली बार 1100 भीलों की भर्ती पुलिस में की गई जो भील पल्टन के नाम से जानी जाती थी। तब से ही आदिवासियों को सरकारी नौकरी मिलना शुरू हुई। छिंदवाड़ा के प्रकाश कुदुम ने अपने कहा कि वर्तमान समय के युवाओं को मूल गोत्र संस्कृति रीति रिवाज की जानकारी होना चाहिए। हमें कलम की ताकत से लडऩा है डंडे से कतई नहीं। सामाजिक कार्यकर्ता राकेश देवड़े ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी झेल रहा देश अत्याचार सहते हुए खून के आंसू रो रहा था। इसी समय काल में 22 जुलाई 1845 को ग्राम सोनखेड़ी तहसील हरसूद जिला खंडवा के मजदूर किसान परिवार में रेंगू कोरकू का जन्म हुआ। टंट्या भील और रेंगू कोरकू ने 27 लाख हेक्टेयर जमीन जमीदारों साहूकारों से वापस छीनकर भारतीय समाजजनों को दी। करण नागवेल ने कहा रेंगू कोरकू सही मायने में महान जननायक हंै जिन्होंने स्वतंत्रता और सम्मान के लिए लंबा संघर्ष किया, लेकिन दुखद बात यह है कि उन्हें वह सम्मान आज तक नहीं मिल पाया। जिसके वह असली हकदार है। सरकार द्वारा उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए। रामदेव काकोडिया, मनोज उइके, साधना देवड़ा, अनीता अलावा, मौजीराम देवड़ा, नंदू रावत इत्यादि ने विचार रखे। छोटे-छोटे बच्चों ने आदिवासी लोकनृत्य किया। संचालन आजाद बादल ने किया। इस अवसर पर नंदकिशोर धांडे, अर्जुन सिंह राठौड़, बनेसिंह देवड़ा, आत्माराम काजले, भंवर सिंह बछानिया, सुरेश देवड़ा, रणजीत भिलाला, दयाराम कोरकू, मुकेश बामनिया, मोहन जामले, मनी मौर्य, जयस नागवेल, जितेंद्र भुसारिया, छोटू मुवेल, कोदर बछानिया आदि उपस्थित थे।

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