इसमें जिक्र किया है कि मैं अच्छा इंसान हूं लेकिन कई बार लोगों के काम से मुझे दु:ख पहुंचता था। इस जीवन से परेशान हो गया हूं, इसलिए जीवनलीला समाप्त करना चाहता हूं। इसके लिए स्वयं ही जिम्मेदार हूं, किसी को परेशान न किया जाए। करीब दो-तीन पन्नों के सुसाइड नोट में जमील ने यह भी लिखा कि उसे कईबार लोगों के कारण दु:ख पहुंचता था लेकिन वह कुछ नहीं कहता था, सब सहन करता था।
कभी कोई धक्का देता तो कभी कोई गालीगलौज करता, अपशब्द भी कहता। मेरा कोई धर्म या जाति नहीं, इंसानियत ही धर्म था। जिन्होंने मुझे परेशान किया क्या उन्हें मेरी हाय नहीं लगेगी। मैंने करीब 20 साल तक डॉॅ. मोघे के मार्गदर्शन में काम किया, वही मेरे आदर्श व गुरु भी रहे। इसके अलावा यह भी लिखा है कि वेतन मेरे घरवालों को दिया जाता रहे। उधर कोतवाली पुलिस ने सोमवार सुबह जिला अस्पताल में पीएम करवाकर शव परिजनों के सुपुर्द किया। मर्ग कायम कर जांच की जा रही है। फिलहाल जान देने के कारणों का स्पष्ट रूप से खुलासा नहीं हो सका है। टीआई एम.एस. परमार ने बताया अभी परिवार गमगीन है, बयान नहीं हो सके हैं। परिवार वालों सहित डॉक्टर आदि के बयान लेने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।