दरअसल देवास की बात करें तो सूची में मास्टर ट्रेनर्स की संख्या 85 है, जिन्होंने चुनाव आचार संहिता का किताबी व प्रेक्टिकली ज्ञान चुनावी कार्य में लगी मशीनरी के लगभग 11000 हजार लोगों को दिया है। इनमें मुख्य निर्वाचन अधिकारी भी शामिल है, जिनकी ट्रेनिंग का जिम्मा भी मास्टर ट्रेनर्स निभाते हंै। मास्टर टे्रनर्स अपने अनुभव व काम की दक्षता के आधार पर जिला, प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर के चुनाव में भी अन्य राज्यों में जाकर अपनी भूमिका का निर्वाहन करते है। लेकिन ऐसे मास्टर ट्रेनर्स कम है जो राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करें।
अच्छा लगता लोकतंत्र में अपना योगदान देकर देवास के लिहाज से बड़ी बात यह है कि यहां की एक महिला प्रोफेसर ने निर्वाचन से जुड़ी दक्षता में अपना खास मुकाम बनाया है। प्रदेश के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर वे अपनी सेवाएं दे रही हैं। उनके साथ ही प्रोफेसर डॉ. अजय काले भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सेवा दे रहे है। दरअसल शहर के शासकीय कन्या महाविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. समीरा नईम पिछले 29 साल से लोकतंत्र के चुनावी समर में अपना योगदान दे रही है। संभवत: वे एकमात्र महिला प्रोफेसर है जिनकी सेवा भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्ली सीधे अन्य राज्यों में भी मास्टर टे्रेनर्स के रूप में ले रहा है। केरल जैसे अधिक शिक्षित राज्य में भी जब चुनावी प्रशिक्षण की बात आई तो चुनाव आयोग को डॉ. समीरा नईम की याद आई। पत्रिका से अपने अनुभव साझा करते हुए वे कहतीं हैं कि अच्छा लगता है कि लोकतंत्र को मजबूत करने में हम अपना योगदान दे रहे है। एक महिला के लिए ये उपलब्धि काफी बड़ी व हर्ष का विषय हो जाती है। हर बार चुनाव में नई चीजें आती है और मास्टर ट्रेनर ही इन नई चीजों को सबके सामने लाते हैं। मास्टर ट्रेनर्स चुनाव आयोग व चुनाव कराने वाली पूरी मशीनरी के बीच एक सेतु की तरह होता है। निर्वाचन नामावली बनाने में सहयोग के साथ मास्टर ट्रेनर का काम शुरू हो जाता है। निर्वाचन का हर विषय मास्टर ट्रेनर जमीन पर उतारता है।