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देवास

मंडी में किसानों के अटके 35 लाख रुपए, हंगामे के साथ सचिव को बनाया बंधक

शुक्रवार दोपहर धरने पर बैठे किसान, शाम को मंडी कार्यालय पर जड़ा ताला

देवासJan 05, 2019 / 03:34 pm

हुसैन अली

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मंडी में किसानों के अटके 35 लाख रुपए, हंगामे के साथ सचिव को बनाया बंधक

देवास. कृषि उपज मंडी देवास में 48 से अधिक किसानों का 35 लाख रुपए से अधिक का सोयाबीन बिक्री का भुगतान अटक गया हैं। विद्या टे्रडर्स ने इन किसानों से उपज तो खरीद ली, लेकिन पैसा देने की बारी आई तो हाथ खड़े कर दिए। 23 सितंबर को इस मामले में किसानों ने मंडी सचिव अश्विन सिन्हा से भी मुलाकात की थी, लेकिन किसानों के लाखों रुपए का भुगतान 4 जनवरी तक भी नहीं हो सका। मामला बीएनपी थाने तक पहुंचा हैं। देर शाम तक पुलिस ने इस मामले में प्रकरण दर्ज नहीं किया था।
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किसान शुक्रवार सुबह 11.30 बजे मंडी सचिव सिन्हा से मिले तो वे दोपहर बाद तक किसानों के भुगतान की राशि का पैसा दिलाने का आश्वासन देते रहे, लेकिन दोपहर 2 बजे बाद किसानों की उम्मीद टूट गई। नाराज किसान पहले मंडी प्रांगण में ही धरने पर बैठ गए। शाम 4.30 बजे बाद मंडी प्रांगण कार्यालय में ताला जड़ कर मंडी सचिव को अंदर ही बंधक बना लिया। बाद में मंडी सचिव ने किसानों से कहा कि उन्हें जाने दे, मिलने के लिए सीएसपी विजयशंकर द्विेदी ने बुलाया हैं, इस पर किसानों ने मंडी कार्यालय का ताला खोला व मंडी सचिव को जाने दिया।
20 से बढक़र हुए 48 किसान

23 सितंबर को मंडी समिति के पास शिकायत लेकर 15 से 20 किसान पहुंचे थे। जिनका 20 से 22 लाख रुपए का भुगतान अटका होने की बात सामने आई थी। लेकिन शुक्रवार तक अन्य किसान भी पहुंचे जिन्होंने विद्या टे्रडर्स में अपनी सोयाबीन की उपज को बेचा था। इतने किसानों के सामने आने के बाद किसानों की बकाया राशि 35 लाख रुपए से अधिक होने का अनुमान हैं। किसान नेता जगदीश नागर ने बताया कि अब हमारा सब्र जवाब दे चुका हैं। गुरुवार को हम दिनभर बकाया राशि के लिए मंडी कार्यालय में इंतजार करते रहे, उम्मीद थी कि शुक्रवार को बकाया का भुगतान मंडी समिति करा देगी, लेकिन शाम तक कुछ नहीं हुआ।
कोर्र्ट के लगाने होंगे चक्कर

किसानों के लिए अपनी उपज बिक्री का पैसा वसूलना अब आसान नहीं रहेगा। पहले तो मंडी कार्यालय के किसान चक्कर काटते रहे, जहां से जल्द से जल्द फर्म से भुगतान का आश्वासन मिलता रहा। शुक्रवार को मामला अब पुलिस तक जा पहुंचा। इस मामले में अगर प्रकरण दर्ज भी हो गया, तो अब मामला कोर्ट में जाएगा। किसानों को अपना पैसा पाने के लिए कोर्ट के चक्कर खाना होंगे।

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