उल्लेखनीय है कि उज्जैन के सी केबिन से कड़छा तक दोहरीकरण का कार्य पूरा होने के बाद रेलवे ने कड़छा से देवास व बिजाना स्टेशन के बीच दोहरीकरण का कार्य शुरू किया था। इस कार्य को मार्च 2022 तक व बिजाना से लक्ष्मीबाई नगर तक मार्च 2023 कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि कार्य पूरा नहीं हो सका और कुछ माह कार्य की गति भी धीमी रही। सूत्रों की माने तो निर्माण संबंधी दिक्कतें होने से कार्य प्रभावित हुआ था। हालांकि अब दिक्कतें दूर हो गई है और स्लीपर व पटरी बिछाने का कार्य किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार क्षेत्र में काली मिट्टी व बारिश का सीजन होने से कार्य थोड़ा प्रभावित भी हो रहा है। खासकर रेलवे ब्रिज के काम बारिश के चलते रुके हुए हैं क्योंकि यहां तक जाने-आने वाले वाहन बारिश व कीचड़ तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में जहां अर्थ वर्क पूरा हो गया है।
उल्लेखनीय है कि उज्जैन-देवास-इंदौर रेलवे ट्रेक के दोहरीकरण प्रोजेक्ट को नवंबर 2017 में रेलवे बोर्ड ने स्वीकृति दी थी। इसके बाद 2018 में उज्जैन की ओर से अर्थ वर्क शुरू हुआ। 79.23 किलोमीटर के कार्य में से अभी तक उज्जैन के सी केबिन से कड़छा के बीच 18 किमी के हिस्से में दोहरीकरण का कार्य हो चुका है। यहां नए ट्रेक पर ट्रेनों का आवागमन होने लगा है।
फैक्ट््स
79.23 किलोमीटर तक होना है दोहरीकरण का कार्य
18 किमी तक कड़छा और उज्जैन के बीच हो चुका है काम पूरा
2018 में शुरू हुआ था अर्थ वर्क
दिसंबर 2022 तक कड़छा से ङ्क्षबजाना बीच कार्य पूरा होने की उम्मीद
मार्च 2023 तक मांगलिया तक कार्य पूरा करने का लक्ष्य
कुछ कारणों से दोहरीकरण का कार्य प्रभावित हुआ था। अब फिर से कार्य में गति आ गई है और स्लीपर व पटरी बिछाने का कार्य चल रहा है। दिसंबर तक ङ्क्षबजाना तक कार्य पूरा हो जाएगा। इसके बाद हमारा प्रयास है कि मार्च 2023 तक मांगलिया तक कार्य हो जाए। बारिश के बाद कार्य में और तेजी आएगी। बारिश के कारण फिलहाल ब्रिजों का काम रुका हुआ है। पिछले दिनों मैंने दोहरीकरण कार्य का निरीक्षण भी किया है।
-विनीत गुप्ता, डीआरएम, रतलाम मंडल