नदी उफान पर होने बावजूद भी प्रशासन की ओर से कोई भी व्यक्ति उपस्थित नहीं होने के कारण लोग जान जोखिम में डालकर उफनती नदी की जलमग्न पुलियो से निकल रहे थे ।
बारिश से इस नदी में आई बाढ़, जान जोखिम में डाल गाडिय़ां लेकर निकलते रहे लोग
देवास. लंबे इंतजार के बाद आखिरकार रविवार को शहर में मानसून ने दस्तक दे दी। सामान्यत: जिले में 15-20 जून के आसपास मानूसन सक्रिय हो जाता है लेकिन इस बार करीब 10-12 दिनों की देरी से पहुंचा है। सुबह साढ़े सात से साढ़े नौ बजे तक शहर के अधिकांश क्षेत्रों में रिमझिम बारिश हुई। इसके बाद दिनभर बादल छाए रहे और कई क्षेत्रों में खंड वर्षा के रूप में कुछ-कुछ देर के लिए बारिश हुई।
पानी में सड़ गया 400 क्विंटल अनाज, गोदाम खोलते ही व्यापारियों ने माथा पकड़ा उधर जंगल क्षेत्र में तेज बारिश होने से चापड़ा की गुनेरा गुनेरी की बड़ी नदी शाम 5.30 उफान पर आ गई। बागली-चापड़ा मार्ग बंद हो गया,। जलमग्न पुलिया के दोनों ओर वाहन एवं यात्रियों की भीड़ लग गई। नदी उफान पर होने बावजूद भी प्रशासन की ओर से कोई भी व्यक्ति उपस्थित नहीं होने के कारण लोग जान जोखिम में डालकर उफनती नदी की जलमग्न पुलियो से निकल रहे थे ।
रविवार को सुबह से ही आसमान में बादलों का डेरा रहा। सुबह साढ़े सात बजे बंूंदाबांदी शुरू हुई और कुछ ही देर में रिममिझ बारिश शुरू हो गई जो रुक-रुककर करीब साढ़े नौ बजे तक चली। दोपहर में ढाई से तीन बजे के बीच कई क्षेत्रों में खंड वर्षा भी हुई। बारिश के कारण कई रास्तों पर कीचड़ पसर जाने से आने-जाने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। भोपाल चौराहे से बीएनपी की ओर जाने वाला मार्ग पुलिस लाइन मोड़ से लेकर राम-रहीम नगर चौराहे तक कई माह से बदहाल पड़ा है। बारिश के बाद यहां फिर से कीचड़ पसर गया और बाइक चलाना व पैदल चलना मुश्किल भरा रहा।
मानसून की पहली धुआंधार बारिश, बादलों में छुप गया शहर, मौसम विभाग ने दी ये खुशखबर पिछले दिनों इस रास्ते पर मुरम डालकर गड्ढोंं को कुछ हद तक भरा गया है लेकिन मिट्टी व कीचड़ के कारण रास्ता ऊबड़-खाबड़ हो गया है, ऐसे में जरा सी बारिश परेशानी बढ़ा देती है। यह मार्ग पुलिस लाइन मोड़ से लेकर बीएनपी गेट तक बनना था लेकिन आधा ही बन सका हैवो भी करीब चार-पांच माह के बाद। पिछले कुछ माह से फिर काम रुका पड़ा है। ऐसे में कई लोग रास्ता बदलकर कृषि उपज मंडी के पीछे से या फिर पुलिस लाइन से होते हुए निकल रहे हैं। इसके अलावा कई कॉलोनियों में भी रास्तों में कीचड़ के कारण आना-जाना मुश्किलों भरा हो रहा है। मानसून की दस्तक के बाद अब झमाझम की दरकार है।
जिले की बात की जाए तो पिछले दो साल से औसत बारिश (42 इंच) का आंकड़ा दर्ज नहीं हुआ है। ऐसे में इस साल अधिकांश तालाब, नदी-नाले ठंड के सीजन में ही सूख गए थे। वहीं भूजल स्तर भी नीचे चले जाने से गर्मी के दौरान कई बोरिंग ने दम तोड़ दिया। प्री मानसून एक्टिविटी जिले में करीब एक पखवाड़े पहले शुरू हो गईथी। इसके तहत शहर सहित अंचल में खंड वर्षा हुई। कई क्षेत्रों में पर्याप्त पानी नहीं गिरने के कारण अभी तक बोवनी का काम पूरा नहीं हो पाया है। कई किसान एक झमाझम का इंतजार कर रहे हैं ताकि उसके बाद खेतों में पर्याप्त नमी हो जाए और खरीफ फसल अच्छे से उग सके।
पिछले साल से अभी तक चार इंच कम है बारिश का आंकड़ा पिछले साल से अभी तक चार इंच कम है बारिश का आंकड़ा इस साल मानसून सत्र में 30 जून सुबह 8 बजे तक जिले में औसतन करीब 74.16 मिमी बारिश दर्ज हो चुकी है। जबकि पिछले साल इस अवधि तक 168.31 मिमी बारिश हो चुकी थी। इस साल बारिश के मामले में अभी तक सोनकच्छ सबसे आगे है। भू-अभिलेख कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार बागली में 117, सोनकच्छ में 121, उदयनगर में 78 .40, देवास में 72, हाटपीपल्या में 63, खातेगांव में 65, कन्नौद में 29, टोंकखुर्द में 24 तथा सतवास में 98 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई।