देवास

जंगलों में हो रही पेड़ों की अवैध कटाई

वन्यजीवों के जीवन पर भी संकट के बादल मंडरा रहे है।

देवासMar 23, 2019 / 11:10 am

Amit S mandloi

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कुसमानिया. ओमप्रकाश परमार
खिवनी अभ्यारण्य का जंगल वन संपदा की दृष्टि से काफी समृद्ध और घना माना जाता है। यह जंगल वन्यजीवों का घर भी कहा जाता है। वन्यजीवों के निवासरत होने के कारण यह जंगल अन्य सामान्य जंगल से खास है। लेकिन इन दिनों क्षेत्र के जंगल में लकड़ी माफियाओं की ऐसी नजर लगी की जंगल दिन प्रतिदिन घना जंगल मैदान में बदलता जा रहा है। जिससे जंगल का अस्तित्व तो खतरे में है ही साथ ही वन्यजीवों के जीवन पर भी संकट के बादल मंडरा रहे है। जिम्मेदारों की अनदेखी से लकड़ी माफिया अवैध गतिविधियो को अंजाम देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।
अब तक कई ठूंठों पर अंकित नहीं किए नंबर

यहां कक्ष क्रमांक 203 से विश्राम गृह से रिछिखो गेट तक स्थित है। इसमें जामनेर नदी किनारे एवं मार्ग के आसपास सागवान के पेड़ों की जमकर कटाई हुई है। जबकि इस क्षेत्र में आम आदमी का आवागमन प्रतिबंधित है। कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति के अभयारण्य में प्रवेश नहीं कर सकता है। इसके बावजूद कई पेड़ मार्ग के दोनों ओर कटे हुए हैं। मानो लकड़ी माफिया सागवान के पेड़ों को अपनी निजी फसल समझकर काट रहे हो। ओर कई पेड़ो पर कुल्हाड़ी से घावटी भी लगाई हुई है। कई ठूंठों पर जिम्मेदारों ने आजतक भी नंबर अंकित नहीं किए है। ऐसे में वनकर्मियों की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े होते है।
पेड़ काटकर काम की लकड़ी ले जाते हैं

लकड़ी माफिया जंगल मे पेड़ काटकर घंटों सिल्लियों बनाते है। और काम की लकड़ी अपने साथ ले जाते हैं। अभयारण्य क्षेत्र वन्य प्राणियों के लिए संरक्षित क्षेत्र है। लेकिन लगातार वनों की कटाई से वन्य प्राणियों का जीवन भी असुरक्षित है। इसमें प्रवेश करने के लिए नंदाडाई गेट एवं रिछिखो गेट के साथ ही सीहोर जिले में दौलतपुर गेट लगा हुआ है। कोई भी वाहन चालक इन गेटों से बचकर नहीं निकलता। इसके बावजूद आरक्षित वन क्षेत्र में धड़ल्ले से सागवान के पेड़ों की कटाई जारी है।
जंगल के करीब खेतो में लगे है ईंट के भट्टे

खिवनी अभ्यारण्य से लगे जंगल खेतो में कई स्थानों पर ईंट के भट्टे लगे है। वैसे तो ग्राम भिलाई से पटरानी तक जंगल में हुई पेड़ों की कटाई से इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि जंगल के किनारे खेतों में कई व्यापारियों ने ईंट बनाकर भट्टे सजा रखे है। ईंट पकाने के लिए अधिकतर व्यापारी जंगल की लकडिय़ों पर निर्भर माने जा सकते है।
जंगल को जिम्मेदार आग से नहीं बचा सके

आगजनी की घटना खिवनी अभ्यारण्य के जंगल में भी देखी गई। वन्यजीवों के लिए संरक्षित खिवनी अभ्यारण्य का जंगल भी आगजनी की घटना से अछूता नहीं रहा। कुछ दिनों पहले लगी आग से कई पेड़.पौधे जलकर नष्ट हो गए और कई पेड़.पौधे नष्ट होने की कगार पर है। यहां के कक्ष क्रमांक 210 में लगी भीषण आग से एक बड़े क्षेत्रफल के पेड़.पौधे आग की चपेट में आने से जलकर नष्ट हो गए और कई पेड़.पौधे आग की लपटों में झुलस गए, जो सूखने जैसी स्थिति में है।
खिवनी अभ्यारण्य में हमारा फील्ड स्टाफ एवं श्रमिक मुस्तैदी से सुरक्षा के लिए लगे है। पेडों की अवैध कटाई का मामला हमारी जानकारी में नही है। फिर भी यदि पेड़ों की अवैध कटाई हुई तो जानकारी लेकर संबंधित पर कार्यवाही की जाएगी। कुछ दिन पहले लकड़ी चोरों ने आग लगाई थी। उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है।
पीसी दायमा, अधीक्षक खिवनी अभ्यारण्य कन्नौद

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