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VIDEO फिर किसान का पैसा लेकर भागा व्यापारी, तो किसानों ने कर दिया ये

locationदेवासPublished: Apr 23, 2019 12:01:17 pm

Submitted by:

Amit S mandloi

– 27 से अधिक किसानों ने बेची थी 95 लाख रुपए की सोयाबीन उपज

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देवास. कृषि उपज मंडी में एक व्यापारी फिर से किसानों का पैसा लेकर भाग गया। करीब 27 से अधिक किसानों ने व्यापारी को सोयाबीन बेची थी, जिसका 95 लाख रुपए का भुगतान संबंधित व्यापारी को करना था, लेकिन सोमवार को मंडी पहुंचे किसानों को पता चला कि व्यापारी भाग चुका है। कई किसानों की इसमें एक से लेकर ढाई लाख रुपए से ऊपर की राशि थी जो उन्हें व्यापारी से लेनी थी। व्यापारी ने 9 अप्रैल के बाद किसानों को पैसा देना बंद कर दिया था।
व्यापारी के गायब होने की सूचना के बाद नाराज किसानों ने मंडी क्रमांक 1 के गेट के बाहर ट्रैक्टर खड़ा कर उसे बंद कर दिया। बीएनपी टीआई की समझाइश के बाद माने किसानों ने मंडी सचिव से इस मुद्दे पर चर्चा की व तय किया गया कि 10 दिन बाद व्यापारी की संपत्तियों की बिक्री कर किसानों को उनके मेहनत का दाम दिलाया जाएगा। गड़बड़ी की सूचना पर मंडी बोर्ड के संयुक्त संचालक भी देवास मंडी में जांच के लिए पहुंचे।
नहीं सुधर पा रही व्यवस्था

कृषि उपज मंडी में प्रशासन के अफसरों की दखल के बाद भी व्यवस्था सुधर नहीं पा रही है। कई बार एसडीएम जीवनसिंह रजक बैठक ले चुके है लेकिन स्थिति जस की तस ही बनी हुई है। पिछले साल दिसंबर माह में एक व्यापारी किसानों का 40 से 45 लाख रुपए लेकर भागा था, उसके बाद तमाम दावे व्यवस्था सुधारने के किए गए थे लेकिन ये दावे 22 अप्रैल को फिर खरे नहीं उतरे। सोमवार को कृषि उपज मंडी में जब 27 से अधिक किसान अपनी उपज का बकाया लेने के लिए सोमेश्वर ट्रेडर्स फर्म पर पहुंचे तो वहां पर ताला लगा था। व्यापारी ने इस फर्म के मालिक अशोक सोनी को कई फोन लगाए लेकिन न उन्होंने, न ही उनके अधिनस्थ अन्य कर्मचारियों ने फोन उठाया। गड़बड़ लगने पर किसानों ने पहले अन्य व्यापारियों से चर्चा की व उसके बाद मंडी सचिव अश्विन सिंह को फोन लगाकर सूचना दी। किसान बार-बार सोनी को फोन लगाते रहे लेकिन उनका मोबाइल बंद हो चुका था। इसके बाद नाराज किसानों ने मंडी में हंगामा कर दिया।
मंडी के दोनों गेट बंद करवाए, पहुंची पुलिस व्यापारी के भागने से नाराज किसानों ने मंडी के अंदर हंगामा कर दिया। नाराज किसान चाहते थे कि जब तक किसानों की उपज का पैसा उन्हें नहीं मिल जाए मंडी को बंद रखा जाए। किसानों का कहना था कि किसानों के उपज की पूरी बिक्री मंडी समिति के देखरेख में हुई है, अगर व्यापारी भाग गया तो किसान दोषी नहीं है, मंडी समिति किसानों को राशि का भुगतान करे। नाराज किसानों ने मंडी के दोनों गेटों को बंद करवा दिया व खुद भी मंडी के बाहर आ गए। कोई गेट नहीं खोल सके इसके लिए ट्रैक्टर-ट्राली अड़ाकर उसे बंद कर दिया। हंगामे की सूचना पर बीएनपी टीआई तारेश कुमार सोनी पहुंचे व नाराज किसानों से चर्चा की। टीआई सोनी की समझाइश के बाद नाराज किसान मंडी सचिव के कार्यालय पहुंचे व मंडी सचिव अश्विन सिंहा से चर्चा की। किसान हर हाल में अपने उपज बिक्री की राशि चाहते थे। मंडी सचिव से उन्होंने दो टूक कहा कि उन्हें कोई मतलब नहीं है, हमें तो किसी भी हाल में हमारा पैसा चाहिए, अगर व्यापारी भाग गया तो मंडी समिति अपने पास से राशि का भुगतान करे।
राशि भुगतान के लिए 10 दिन की मोहलत मांगी

मंडी किसानों को उनके बकाया राशि का भुगतान अब 10 दिन बाद किया जाएगा। मंडी सचिव ने किसानों से चर्चा कर उनसे 10 दिन का समय मांगा जिस पर किसान राजी हो गए। मंडी सचिव ने किसानों को समझाया कि व्यापारी के बैंक खाते व वेयर हाउस में पड़ी उपज को सील किया जा रहा है। अन्य संपत्तियों की जानकारी भी जुटाई जा रही है। इस पर किसानों का गुस्सा कम हुआ व 10 दिन के लिए किसान मान गए।
सुबह के समय खाते से निकाले सात लाख रुपए

मंडी व्यापारी सोमवार सुबह ही आंध्रा बैंक पहुंच गया था। व्यापारी ने सुबह 10 बजे ही बैंक खाते से 7 लाख रुपए निकाल लिए। साथ ही व्यापारी जाने से पहले मंडी समिति को एक लिस्ट भी भेज गया, जिसमें उल्लेख है कि करीब 27 किसानों का 95 लाख रुपए का भुगतान उसे करना है। मंडी समिति को व्यापारी के तीन वेयर हाउसों की जानकारी भी मिली है जिसकी जांच की जा रही है।
नियमों का नहीं हो रहा पालन

देवास कृषि उपज मंडी में नियमों को हवा में उड़ाया जा रह है। मंडी अधिनियम का पालन नहीं होने से किसान भुगतान रोककर 8 से 10 दिन का टर्नओवर बना लेते है। मंडी अधिनियम के अनुसार जब तक किसानों की उपज बिक्री की राशि का पूरा भुगतान व्यापारी नहीं कर दे उसकी उपज मंडी के बाहर नहीं जा सकती। ऐसे में नाकेदारों पर सवाल उठते है। जो व्यापारी भागा वो सन् 2012 से मंडी में व्यापार कर रहा था। व्यापारी ने पिछले 9 अप्रैल के बाद से किसानों को राशि का भुगतान बंद कर दिया था लेकिन मंडी समिति को इसकी जानकारी ही नहीं लगी।
हर माह मेडिसिन पर 10 हजार का खर्च

मेरी किडनी खराब हो गई थी, जिसके बाद ट्रांसप्लांट कराया था। मुझे उसके बाद हर माह मेडिसन पर 10 हजार रुपए खर्च करना पड़ता है। ये दर्द सिरोल्या के किसान बुरसीलाल चौधरी का था। वे बोले व्यापारी को 60 हजार रुपए की उपज बेची थी लेकिन वो गायब हो गया। अन्य किसान भी अपने भुगतान को लेकर चिंता में नजर आए। शाजापुर के किसान भगवान पाटीदार खासे उत्तेजित थे। वे बोले मैं किसी को मार दूंगा या मर जाऊंगा, अन्य किसानों ने उन्हें समझाया। नंदनखेड़ी के किसान युवराज के 2 लाख 50 हजार रुपए व्यापारी से लेना थे, काशिराम को 93 हजार, रंधनखेड़ी के किसान धर्मेेंद्र पटेल 2 ट्राली में उपज बेचने के लिए लाए थे जिन्होंने व्यापारी को 2 लाख 30 हजार रुपए का माल बेचा था। अन्य किसान भी चिंता में नजर आए, लेकिन सभी किसान अभी 10 दिन इंतजार करेंगे।


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