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आदिकाल से हमारा अस्तित्व है, लेकिन सरकार पहचान ही खत्म करना चाहती है

locationदेवासPublished: Jan 11, 2019 01:15:54 am

अखिल भारतीय किन्नर समाज का सम्मेलन

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आदिकाल से हमारा अस्तित्व है, लेकिन सरकार पहचान ही खत्म करना चाहती है

देवास. गोमती नगर के गुलशन गार्डन में अखिल भारतीय किन्नर समाज का सम्मेलन 1 जनवरी से चल रहा है, जो कि 15 जनवरी तक चलेगा। सम्मेलन में पूरे देश से करीब 4 हजार से अधिक किन्नर भाग लेने आए हैं। गुरुवार को सम्मेलन में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजयसिंह पहुंचे। गुरुवार को पहली बार किन्नरों ने केंद्र सरकार दरा लाए जा रहे एक बिल के प्रति अपनी चिंता व नाराजगी जताई। केंद्र सरकार के इस बिल में दो प्रावधानों पर किन्नर खासे नाराज दिखे। इस बिल में जहां गुरु-शिष्य परंपरा को बंद करने की बात कही गई है, वहीं नेक प्रथा को बंद करने की बात भी कही गई है, जिसे बिल में भीख मांगना बताया गया है। यहीं से किन्नर समाज सरकार से नाराज हो गया है। ये नाराजगी गुरुवार को खुलकर सामने आई।
किन्नर समाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष पायलबाई, गुलशन सिंह, रेखा ने एक स्वर में बिल के प्रारूप पर ंिजंता जताई व कहा कि इस बिल के माध्यम से सरकार किन्नरों की पहचान को ही खत्म करना चाहती है। जबकि हमारा वजूद तो धार्मिक गं्रथों व पुराणों ने भी माना है। कोई काल ऐसा नहीं रहा, जहां हम न रहे हों, लेकिन अब इस पर ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं। नाराज किन्नरों का कहना था कि एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में हमें थर्ड जनरेशन के रूप में पहचान दी, वहीं केंद्र की मोदी सरकार अब हमारे वैरिफिकेशन पर उतारू हैं। ये कहां का इंसाफ है। भावुक किन्नरों ने कहा कि मेनका गांधी पशु-पक्षियों के हक की लड़ाई लड़ती हैं, लेकिन हम तो फिर भी इंसान हैं। हम कभी भी दुनियादारी के मसलों में नहीं पड़ते हैं, लेकिन आज हमारी पहचान पर ही सवाल केंद्र का कानून खड़ा कर रहा है। गुलशन बिंदु ने कहा मैं उसी अयोध्या से आई हूं, जहां भगवान राम का वास था। जब भगवान राम का जन्म हुआ था तो इसका हर्ष मनाने के लिए किन्नर भी पहुंचे थे। आज क्यों हमारे पहचान पर संकट खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है।
किन्नरों का समर्थन करते हुए राज्यसभा सांसद संजयसिंह ने भी सरकार के बिल पर नाराजगी जताई। बोले सरकार को संभल जाना चाहिए, तीन राज्य हारने के बाद भी अगर अकल नहीं आई तो इनकी बददुआ डूबो देगी। वे बोले, समाज का बड़ा तबका किन्नरों का आशीर्वाद लेता है। हर खुशी के मौके पर इन्हें याद किया जाता है। खुशी में जो लोग देते हैं, उसे नेग कहते हैं, लेकिन सरकार को ये समझ ही नहीं आया, वो इसे भीख समझ रही है। सिंह ने कहा, आप दिल्ली आइये, हम राज्यसभा में अन्य दलों का समर्थन लेकर इस बिल को रोकेंगे। साथ ही कहा कि सरकार को आस्था पर चोट नहीं पहुंचाना चाहिए।
किन्नरों का राष्ट्रीय सम्मेलन शहर में 39 साल बाद हो रहा है। इसके पहले ये सम्मेलन 1980 में हुआ था। बहारबाई ने उस सम्मेलन में भी भाग लिया था। उन्हें अब सभी सम्मान से दादी मां कहते हैं। वे कहती हैं, इस शहर में हमें काफी सम्मान मिला है। देवास में ये कार्यक्रम किन्नर आशाबाई की याद में आयोजित किया गया है। सम्मेलन में पूरे देश से 4 हजार से अधिक किन्नरों ने भाग लिया है। नेपाल, बांग्लादेश व एक अन्य देश से भी किन्नर पहुंचे हैं। राष्ट्रीय सम्मेलन में कई मुद्दों पर एक सहमति बनती है, कई निर्णय लिए जाते हैं।
ढाई साल से लेकर 102 वर्ष की किन्नरों ने भाग लिया
सम्मेलन में पूरे देश की अलग-अलग पहचान भी नजर आती है। भाषा, खानपान के साथ ही अलग-अलग राज्यों के हिसाब से पसंद-नापंसद भी देखी गई। इस राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए अलग-अलग उम्र के किन्नर पहुंचे हैं। सम्मेलन में ढाई साल से लेकर 102 वर्ष आयु के किन्नरों ने भाग लिया।
आज निकलेगी कलश यात्रा
सम्मेलन को लेकर शहरवासियों में भी कौतूहल बना हुआ है। शुक्रवार को कलश यात्रा का आयोजन किया गया है। ये कलश यात्रा सयाजी द्वार से शुरू होकर शहर के पांच मंदिरों भेरू मंदिर, खेड़ापति, जवेरी राम मंदिर, माता टेकरी व सोमेश्वर महादेव मंदिर पर घंटा चढ़ाएंगे। इसके साथ ही तीन बत्ती चौराह पर ख्वाजा गरीब नवाज के चिल्ले पर भी चादर चढ़ाई जाएगी। इसे लेकर किन्नरों में उत्साह है।
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