कांग्रेस में तो कबीर भजन गायक प्रह्लादसिंह टिपाणिया का नाम लगभग तय माना जा रहा है और कांग्रेसी ही तर्क दे रहे हैं कि दूसरा दमदार उम्मीदवार कहां से लाएं, जबकि भाजपा में स्थिति इसके उलट है। यहां इतने दावेदार हैं कि संगठन भी परेशान हो चला है। परेशानी की अहम वजह यह भी है कि दावेदारी के चलते पार्टी में ही विरोध शुरू हो गया है और दावेदारों के समर्थक सोशल मीडिया पर असंयमित आचरण कर रहे हैं।
अपना नेता अच्छा, बाकी कमतर भाजपा सूत्रों के मुताबिक जिन दावेदारों के नाम सूची में है उनके समर्थक खुशी जता रहे हैं लेकिन जिनके नाम सूची से कट गए हैं वे नाराजगी जताकर पार्टी के खिलाफ आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। कुछ तो पुतला दहन करने की बातें कर चुके हैं। सोशल मीडिया पर कुछ पदाधिकारी अपने आका के नाम को प्रचारित कर दूसरे नाम को कमतर बता रहे हैं और पार्टी की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं कि यदि टिकट ठीक से नहीं दिया तो सामाजिक गणित गड़बड़ाएंगे जिनका खामियाजा पार्टी को भुगतना होगा। यह स्थिति इसलिए भी बनी है क्योंकि भाजपा संगठन सख्त कार्रवाई नहीं कर सका। संगठन यह सोचकर चल रहा है कि किसी तरह का सख्त कदम चुनाव में पार्टी के लिए नुकसानदेह हो सकता है लेकिन इस सोच के चलते सोशल मीडिया पर पार्टी की छवि खराब हो रही है, जिसे लेकर चर्चा हो रही है।
समर्थक देने लग गए बधाई दो दिन पहले वाट्सएप, फेसबुक पर चिंतामणि मालवीय के नाम की पोस्ट वायरल हुई। भाजपा के अतिउत्साही नेताओं ने सोशल मीडिया पर मालवीय का टिकट फाइनल कर बधाई दे दी जिस कारण पसोपेश की स्थिति बनी और संगठन पदाधिकारी परेशान हुए। इसी तरह सूरज कैरो के समर्थक रविदास समाज का तर्क देकर उनके नाम का प्रचार कर रहे हैं। जिन दूसरे दावेदारों के नाम पर चर्चा हो रही है उनको कमतर बताकर पार्टी पदाधिकारियों के सामने पीड़ा जता रहे हैं और सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल कर रहे हैं। इसी तरह दूसरे दावेदारों के समर्थक भी इसी मुहिम का हिस्सा बनकर बैठे हैं, जिसे लेकर संगठन पदाधिकारी नाराजगी जता रहे हैं।
पहले विरोध, बाद में सरेंडर कांग्रेस में इसके उलट स्थिति है। यहां दावेदारों की संख्या शुरुआत से ही सीमित रही है। पूर्व में मंत्री सज्जन सिंह वर्मा समर्थकों ने यह लिखकर दे दिया था कि जिस नाम को मंत्री वर्मा पसंद करेंगे उसका सभी कांग्रेस समर्थन करेंगे। इसके बाद मंत्री पुत्र पवन वर्मा का नाम चला। बाद में अर्जुन वर्मा का नाम आया, लेकिन विरोध जताने की हिम्मत किसी ने नहीं की। इसी बीच पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कबीर गायक प्रह्लादसिंह टिपाणिया के नाम का दांव खेला तो मंत्री समर्थक सकते में आ गए। कुछ ने सोशल मीडिया पर विरोध जताया लेकिन बाद में सरेंडर हो गए। अब टिपाणिया के नाम के अलावा दूसरे किसी नाम की चर्चा नहीं हो रही, जिस कारण यहां स्थिति शांत ही है।
किसने क्या कहा– भाजपा जिलाध्यक्ष नंदकिशोर पाटीदार ने कहा कि टिकट मिलने तक हर कार्यकर्ता को टिकट मांगने का अधिकार है। सोशल मीडिया पर कई लोग अपने समर्थकों के लिए टिकट मांग रहे हैं, यह मेरे संज्ञान में है। चूंकि अभी टिकट तय नहीं हुआ है इसलिए किसी पर प्रतिबंध नहीं है लेकिन उम्मीदवार की घोषणा के बाद यदि कोई किसी तरह के मैसेज या पोस्ट करता है तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। कांग्रेस शहर अध्यक्ष मनोज राजानी ने कहा कि कांग्रेस में किसी तरह की कोई उलझन नहीं है। जो भी नाम हाईकमान तय करेगा वह सबकी सहमति से ही होगा और सभी उसके लिए काम करेंगे।