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विकास के वादों से दूर व्यक्तिवाद पर केंद्रित चुनाव

locationदेवासPublished: Mar 18, 2019 10:34:10 am

–भाजपा के पास मोदी मंत्र तो कांग्रेस रट रही राहुल गांधी का नाम –औद्योगिक क्षेत्र बदहाल, स्वास्थ्य सेवाएं बीमार, शिक्षा को लेकर विजन नहीं लेकिन हर बार की तरह बन रही वादों की लंबी फेहरिस्त–एयर स्ट्राइक के मुद्दे को भुना रही भाजपा तो नोटबंदी, जीएसटी और बेरोजगारी के मुद्दे पर रणनीति बना रही कांग्रेस

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देवास. चंद्रप्रकाश शर्मा
लोकसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। पार्टियां रणनीति में जुटी है तो जनता मंथन में। वादों की लंबी-चौड़ी फेहरिस्त लेकर उम्मीदवार जनता के सामने आएंगे, वोट मांगेंगे मगर जीतने के बाद न वादे याद रहते हैं न ही जनता। शहर में स्वास्थ्य सेेवाएं बदहाल हैं। शिक्षा को लेकर कोई विजन नहीं। औद्योगिक क्षेत्र का विकास रूक सा गया है और हाईवे पर बसा शहर विकास को तरस रहा है। भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों के सांसद रहे लेकिन देवास को उस मुकाम पर नहीं पहुंचा सके जहां पहुंचाना था। यह चुनाव व्यक्तिवाद पर केंद्रित दिख रहा है और यही वजह है कि भाजपाई मोदी मंत्र जप रहे हैं तो कांग्रेसी राहुल गांधी का नाम रट रहे हैं।
दरअसल देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र आठ विधानसभाओं में बंटा है। इसमें देवास, शाजापुर, आगर और सीहोर के रूप में चार जिले लगते हैं। देवास जिले की देवास, सोनकच्छ, हाटपीपल्या विधानसभा इसमें आती है तो शाजापुर जिले की शाजापुर, शुजालपुुर, कालापीपल सीट शामिल है। आगर जिले की आगर विधानसभा और सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा इस संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। बड़ा जिला देवास ही है जो इंदौर और उज्जैन से सीधा जुड़ा है लेकिन दुखद पहलू यह है कि यही देवास विकास को तरह रहा है।
2014 में जीती थी भाजपा

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के मनोहर ऊंटवाल यहां से सासद का चुनाव जीते थे। निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा को हराया था। केंद्र में भी भाजपा सरकार बनी और लोगों को उम्मीद जागी कि अब भाजपा वाले ये नहीं कह सकेंगे कि केंद्र में हमारी सरकार नहीं है इसलिए विकास नहीं हो रहा। मप्र में भाजपा सरकार थी ही, मगर जनता ने जैसा सोचा वैसा नहीं हो सका। ऊंटवाल की जनता से दूरी भी सुॢखयों में बनी रही और उनकी चुप्पी ने सवालों को जन्म दिया।
स्थानीय मुद्दों से चुरा रहे मुंह
मुद्दों के लिहाज से देखें तो फिलहाल भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों के पास ऐसा कोई स्थानीय मुद्दा नहीं है जिसके चलते वह जनता के बीच जाए। ऐसा नहीं है कि देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र में समस्या नहीं है, मगर इन समस्याओं की ओर ध्यान देने के बजाय भाजपा-कांग्रेस सरकार बनाने की बात कर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के पास ऐसा कोई बड़ा काम नहीं है जिसे भुनाकर चुनावी रण में उतरे क्योंकि बरसों से कोई बड़ा प्रोजेक्ट देवास में आया ही नहीं।
इन मुद्दों को भुनाएगी भाजपा

पूर्व सांसद ऊंटवाल ने फूड प्रोसेसिंग यूनिट लाने की बात जरूर की थी लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी। मेंढकी रोड स्थिति रेलवे ओवर ब्रिज की मांग को पूरा कर ब्रिज निर्माण शुरू किया जिसे भाजपा अपनी उपलब्धि बता रही है और संभवत: इसी मुद्दे को लेकर जनता के बीच भी जाएगी। स्थानीय पोस्ट ऑफिस में पासपोर्ट की सुविधा शुरू होने को भाजपा भुनाएगी। उज्जवला योजना को भाजपा मुद्दा बनाएगी। बीएनपी में इंक फैक्टरी लाने के मामले को भाजपा भुना सकती है। इसी तरह आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के बाद वायुसेना की एयर स्ट्राइक को लेकर भाजपाई जनता के बीच जा रहे हैं। पाकिस्तान पर हमले के मामले को भाजपा भुनाने की तैयारी में है। राम मंदिर का मुद्दा जो कुछ माह पहले तक तूल पकड़ रहा था और भाजपा घिरी हुई थी वह अब शांत सा हो गया है।
एक को मोदी का सहारा, दूसरे को राहुल से आस

भाजपा इस पूरे चुनाव में मोदी के सहारे है। 2014 जैसी न हवा है न लहर लेकिन मोदी के इर्द-गिर्द ही चुनाव घूम रहा है। भाजपा की हर बैठक में यही मंत्र दिया जा रहा है और विकास के वादों को भूलाकर मोदी मंत्र जपा जा रहा है। दूसरी ओर कांग्रेस के पास भाजपा को घेरने की कारगर रणनीति नहीं है और कांग्रेस की बैठकों में अभी भी एकजुटता की बातें हो रही हैं। यहां राहुल गांधी को पीएम बनाने के फैक्टर पर काम हो रहा है और कहा जा रहा है कि किसी को भी टिकट मिले, यह सोचकर काम करना कि राहुल गांधी को पीएम बनाना है। इस तरह से इस बार का चुनाव दूसरे वादों से दूर मोदी बनाम राहुल का चुनाव हो गया है।
नोटबंदी और जीएसटी के मुद्दे अहम

नोटबंदी और जीएसटी जैसे मामले भाजपा का सिरदर्द बने हुए हैं। कांग्रेस इन्हीं मुद्दों को भुना रही है। नोटबंदी के बाद बिगड़ी स्थिति और जीएसटी के कारण व्यापार- व्यवसाय में आई मंदी भी इस चुनाव में अहम रोल अदा करेगी। व्यापारी दबी जुबान कह रहे हैं कि नोटबंदी के बाद हालत खराब हो गई थी, ऊपर से जीएसटी का बोझ आ गया। इससे व्यापार की कमर टूट गई। बेरोजगारी भी बड़ा मुद्दा है, जिसे लेकर कांग्रेस भाजपा को घेर रही है। पूरे घटनाक्रम में मतदाता मौन है और मतदान के रूप में ही अपनी बात कहने के मूड़ में है। कांग्रेस के पास नोटबंदी, जीएसटी, बेरोजगारी, उद्योगों का विकास न होना, औद्योगिक क्षेत्र में सड़कें न बनना जैसे मुद्दे हैं। उज्जवला योजना को भी कांग्रेस छलावा बता रही है। सांसद समय से पहले संसदीय सीट छोड़कर चले गए और विधायकी कर रहे हैं।
नहीं हो पाया औद्योगिक विकास

देवास के संदर्भ में बात करें तो यहां का औद्योगिक विकास अवरुद्ध हो चुका है। किसी समय समृद्ध औद्योगिक क्षेत्र था लेकिन जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण उद्योग बंद हो रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्र में सुविधाएं नहीं है। सड़क तक नहीं बन सकी है। साढ़े चार सालों तक केंद्र में भाजपा सरकार रही, सांसद भाजपा का रहा लेकिन उद्योगों की बदहाली पर ध्यान नहीं दिया। हैरानी तब हुई जब पूर्व सीएम शिवराज सिंह इन्वेस्टर्स मीट के बहाने उद्योगों को बढ़ावा देने की बात कहते रहे लेकिन भाजपा के ही जनप्रनिधियों ने सुध नहीं ली। करीब तीस सालों से देवास में भाजपा के एक ही परिवार का विधायक है मगर विकास की जो गति देवास को पकडऩा थी वह अब भी काफी पीछे है। दुखद पहलू यह भी है कि देवास की बड़ी कंपनियों में स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा जिसे लेकर भी सांसद या विधायक की ओर से कोई पहल नहीं की गई। स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल है और उच्च शिक्षा के लिए आज भी महानगरों पर निर्भरता बनी हुई है। शहर में कहीं भी व्यवस्थिति पिकनिक स्पॉट नहीं है जहां परिवार के साथ लोग घूम सकें। देवास के साथ ही हाटपीपल्या और सोनकच्छ भी विकास से अछूते ही रहे। हाटपीपल्या में तो विकास न होने की कीमत पूर्व सीएम कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी को चुकानी पड़ी और विस चुनाव में जनता ने उन्हें आईना दिखाया। सोनकच्छ में भी यही हाल रहा और भाजपा ने यह सीट गंवा दी।
भाजपा की नीयत ही धोखा देने की

मप्र के लोनिवि मंत्री व 2014 में देवास-शाजापुर सीट से प्रत्याशी रहे सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि भाजपा की नीयत ही धोखा देने की है। जब नरेंद्र मोदी ने वादे पूरे नहीं किए तो उनके सांसदों से क्या उम्मीद रखें। उज्जवला योजना के नाम पर छलावा किया। गरीब लोग महंगी गैस कहां से खरीदे। सुषमा स्वराज ने अजनास को गोद लिया लेकिन गांव की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। अगर देवास-शाजापुर सीट से भाजपा सांसद समय से पहले ही सीट छोड़कर चले गए तो यह जनता को तय करना है उनके साथ न्याय हुआ की नहीं। केंद्र की सरकार झूठों की सरकार है।
ऊंटवाल ने नहीं उठाया फोन
आगर विधायक व देवास-शाजापुर से सांसद रहे मनोहर ऊंटवाल का पक्ष जानने के लिए उन्हें कई बार फोन लगाया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। खबर तो यहां तक है कि भाजपा की एक टीम विकास कार्यों की सूची बना रही है लेकिन ऊंटवाल ने क्या विकास किए हैं ये सूची ही भाजपाइयों को नहीं मिल पा रही है जिसके चलते चर्चा हो रही है कि सूची में क्या लिखें और क्या लेकर जनता के बीच जाएं।
एक्सपर्ट व्यू
मोदी बनाम राहुल हो गया चुनाव
राजनीतिक विश्लेषक व साहित्यकार संदीप नाईक ने कहा कि देवास की बात करें तो ७० के दशक तक औद्योगीकरण ने गति पकड़ी और विकास हुआ मगर 90 के दशक तक आते-आते गति धीमी पड़ गई। १९९० से लेकर वर्तमान तक जो विधायक हैं उन्होंने ध्यान नहीं दिया। सांसद भी बाहरी थे। हाल ही में जो सांसद थे वे बीच में से हीे भी भाग गए। देवास नगर निगम की बुरी हालत है। शहर को लेकर कोई योजना नहीं है। हर निर्माण बेतरतीब है। धाॢमक आस्था के केंद्र माता टेकरी को लेकर जनप्रतिनिधियों व नेतृत्व की निष्क्रियता के चलते प्रशासन भी कुछ नहीं कर पा रहा। कोई पिकनिक स्पॉट तक नहीं बना। जिले के सरकारी अस्पताल की हालत दयनीय है। अब सांसद ऐसा चाहिए जो जनता के बीच रहे। स्थानीय हो । इस चुनाव में सर्जिकल स्ट्राइक को मुद्दा बनाया जा रहा है मगर असली मुद्दा नोटबंदी, जीएसटी, बेरोजगारी है। स्थानीय मुद्दों की बात होनी चाहिए। लोगों के पास रोजगार नहीं है। हर चौथे घर में किराने की दुकान खुल रही है क्योंकि शिक्षा के बावजूद नौकरी नहीं मिल रही। राष्ट्रभक्ति सर्वोपरि है मगर रोजी-रोटी नहीं मिल रही और पाकिस्तान की बात कर रहे हैं तो गलत है। रोजगार मिलना चाहिए। अच्छी शिक्षा, अच्छा स्वास्थ्य मिलना चाहिए। दुर्भाग्य यह है कि यह चुनाव मोदी बनाम राहुल हो गया है। व्यक्तिवाद हावी है, जो कि गलत है। लोकतंत्र में व्यक्तिवाद नहीं होना चाहिए, जनता सर्वोपरि होती है, देश सर्वोपरि है, संघीय ढांचा सर्वोपरि है। जनता को आगे आना होगा। सवाल पूछने पड़ेेंगे। चुनाव आयोग को वोट टू रिकॉल लागू करना चाहिए ताकि जो काम नहीं कर रहा उसे बदलने का अधिकार मिले।
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