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राजनीतिक रण में भाजपा प्रत्याशी को पहचान का संकट तो कांग्रेस उम्मीदवार को कबीर का सहारा…

locationदेवासPublished: Apr 21, 2019 11:32:59 am

Submitted by:

Amit S mandloi

–भाजपा प्रत्याशी अतीत के किस्से सुनाकर बहाते हैं आंसू तो कांग्रेस उम्मीदवार सुनाते हैं भजन…विकास का विजन दोनों के पास नहीं

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देवास. लोकसभा चुनाव की तैयारियों में भाजपा-कांग्रेस जुटी हुई है। दारोमदार दोनों दलों के संगठन पर है क्योंकि दोनों ही दलों के प्रत्याशी नए हैं। भाजपा प्रत्याशी जहां पहचान के संकट से जूझ रहे हैं वहीं कांग्रेस प्रत्याशी कबीर के मार्फत खुद का परिचय दे रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस प्रत्याशी जहां जाते हैं वहां कबीर को याद कर भजन सुनाने लग जाते हैं तो भाजपा उम्मीदवार अतीत में जाकर आंसू बहाने लगते हैं। मुद्दों की बात फिलहाल दूर ही है और दोनों ही उम्मीदवार संसदीय क्षेत्र को लेकर अपनी प्राथमिकताएं नहीं बता सके हैं। दूसरी समस्या फंड की है। समस्या इसलिए क्योंकि फंड अभी आया नहीं है लेकिन फंड के इंतजार में दोनों ही दलों के नेता लगे हैं। प्रत्याशियों को पूरा हिसाब-किताब तक दिया जा रहा है कि कितना कहां खर्च हो रहा है।
दरअसल कांग्रेस ने कबीर गायक प्रह्लाद सिंह टिपाणिया को टिकट दिया है तो भाजपा ने पूर्व न्यायाधीश महेंद्रसिंह सोलंकी को उम्मीदवार बनाया है। दोनों का यह पहला चुनाव है। सोलंकी जरूर जज बनने के पहले भाजपा के झंडे उठा चुके हैं और संघ से जुड़े रहे हैं। टिपाणिया के बारे में कहा जा रहा है कि वे कांग्रेस से जुड़े रहे हैं लेकिन खुलकर कभी सामने नहीं आए। इस बार इसी वजह से उनको टिकट दिया है। राजनीति के रण में दोनों ही प्रत्याशी नए हैं। दोनों के दौरे हो रहे हैं और हर जगह खुद का परिचय दिया जा रहा है।
कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति

कांग्रेस की बात करें तो इस बार कांग्रेस के लिए चुनाव करो या मरो की स्थिति में है। बीते चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार ढाई लाख से ज्यादा वोट से हारे थे। इस बार संसदीय क्षेत्र की चार सीटें कांग्रेस के पास हैं और मंत्री-विधायकों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। हालांकि संगठन स्तर पर कांग्रेस अभी भी कमजोर ही है। इसके चलते लगातार बैठकें की जा रही हैं और बैठकों में जिम्मेदारी बांटी जा रही है। मुख्य फोकस देवास विधानसभा पर है जहां से कांग्रेस पिछला विधानसभा चुनाव भी हार गई है। शहर अध्यक्ष मनोज राजानी खुद भरी बैठक में कह चुके हैं कि अगर देवास सीट हारे तो टिपाणिया सांसद नहीं बन सकेंगे। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की बैठक में जिम्मेदारियां तक बांट दी गई है। संगठन पदाधिकारियों को अलग-अलग हिस्सों की जिम्मेदारी दी गई है। शहर अध्यक्ष को देवास सीट की जिम्मेदारी दी गई है। पोलिंग की व्यूह रचना की जा रही है और जिन पोलिंग पर कांग्रेस कमजोर है वहां ध्यान दिया जा रहा है। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चिंता अपने ही नेताओं को साधने की है क्योंकि साथ दिखने वाले ये नेता दूर-दूर ही हैं, जिसका नतीजा बीते विधानसभा चुनाव में दिखा और कांग्रेस प्रत्याशी जयसिंह ठाकुर ने कुछ नेताओं की शिकायत तक कर दी। पहले एक मंत्री का देवास में दखल था लेकिन अब इस सूची में दो नाम और जुड़ गए हैं। भाषणों में सब एकजुट हैं लेकिन परस्पर विरोध भी जारी है।
अंतर्कलह से जूझ रही भाजपा

भाजपा की बात करें तो यहां संगठन कांग्रेस की तुलना में मजबूत है और बूथ लेवल तक काम कर रहा है लेकिन बीते कुछ दिनों से संगठन में जो खींचतान सामने आई है उसके चलते स्थिति असहज हुई है। प्रत्याशी सोलंकी की एक फेसबुक पोस्ट भी विवादों को जन्म दे गई और पार्टी से जुड़े लोगों ने उनको घेर लिया। बाद में यह पोस्ट डिलीट करनी पड़ी। इधर लोकसभा के एक पदाधिकारी को लेकर विरोध के स्वर उठ रहे हैं। हाल ही में प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत की बैठक के बाद जिला भाजपा के एक पदाधिकारी ने फेसबुक पर उक्त पदाधिकारी की कार्यशैली की आलोचना की थी। हाटपीपल्या विधानसभा के एक मंडल अध्यक्ष ने भी शिकायत की और अपने गुट के साथ संगठन के कार्यक्रम का बहिष्कार किया। पूर्व मंत्री दीपक जोशी भी नाराज ही हैं और अपने हिसाब से काम कर रहे हैं। जिला कार्यालय पर गुटबाजी चरम पर है और अपने-अपने नेताओं के इशारे पर कार्यकर्ता काम कर रहे हैं। कागजों में भले ही संगठन मजबूत दिख रहा हो लेकिन अंतर्कलह यहां भी है, जिसका खामियाजा प्रत्याशी को उठाना पड़ सकता है।
पार्टी फंड पर सबकी निगाहें

भाजपा कांग्रेस दोनों दलों में अब सबसे बड़ी चिंता पार्टी फंड की है। प्रत्याशी तो फंड का इंतजार कर ही रहे हैं लेकिन कुछ ऐसे नेता भी हैं जिनकी नजरें फंड पर टिकी है। इन नेताओं ने अभी से खर्च जोडऩा शुरू कर दिए हैं और प्रत्याशी से कह दिया है कि इतना खर्च हो रहा है, व्यवस्था करवाओ। फिलहाल तो संगठन स्तर पर कार्यकर्ता और प्रत्याशी काम चला रहे हैं लेकिन फंड की स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही। सूत्रों के मुताबिक दोनों ही प्रत्याशियों के पास विधानसभावार फंड आएगा जो एक से डेढ़ करोड़ तक हो सकता है। भाजपा में पहले यह कहा गया था कि राशि बढ़ भी सकती है जो लेकिन कुछ नेता दबीजुबान कह रहे हैं कि पार्टी इतने रुपए नहीं देगी। फंड भी सीधा प्रत्याशी के पास ही आएगा।
नामांकन के बाद स्पष्ट होगी स्थिति

नामांकन दाखिल होने के बाद स्थिति थोड़ी स्पष्ट होगी। कहा जा रहा है कि भाजपा प्रत्याशी 25 अप्रैल तो कांग्रेस प्रत्याशी २६ अप्रैल को शाजापुर में नामांकन दाखिल करेंगे। भाजपा की ओर से पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान आएंगे तो कांग्रेस की तरफ से सीएम कमलनाथ के नामांकन में शामिल होने की चर्चा है। फिलहाल दोनों प्रत्याशी संसदीय क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष नंदकिशोर पाटीदार ने कहा कि किसी तरह का विरोध नहीं है। उम्मीदवार को जनसमर्थन मिल रहा है। फंड की जानकारी नहीं है। अगर फंड आता भी है तो वह सीधे प्रत्याशी के पास आता है। कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी ने कहा कि कांग्रेस एकजुट है और संगठन मजबूत है। पूरी तैयारी हो चुकी है। हम चुनाव जीत रहे हैं। फंड का मामला हाईकमान का है और यह सीधा प्रत्याशी के पास जाता है।
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