scriptएक ही दिन में सात किमी के दायरे में तय कर दी पूर्व सीएम की सभाएं…उलझन बढ़ी तो एक सभा करनी पड़ी निरस्त ! | loksabha chunav | Patrika News

एक ही दिन में सात किमी के दायरे में तय कर दी पूर्व सीएम की सभाएं…उलझन बढ़ी तो एक सभा करनी पड़ी निरस्त !

locationदेवासPublished: May 15, 2019 11:30:55 am

Submitted by:

Amit S mandloi

–सीएम रहते जिनको सुनने के लिए जगह पड़ जाती थी कम अब उन्हीं शिवराज की सभा में नहीं पहुंच पा रही भीड़, टोंकखुर्द की सभा में भीड़ कम देख नाराज हुए शिवराज

dewas

dewas

चंद्रप्रकाश शर्मा
देवास. भाजपा के स्टार प्रचारक फीके नजर आने लगे हैं। सभाओं में भीड़ नहीं जुट पा रही जिस कारण चिंता बढ़ रही है। हालात ऐसे बन रहे हैं कि सीएम रहते हुए जिनको सुनने के लिए पांच से दस हजार लोग पहुंचते थे अब उन्हीं के नाम के आगे पूर्व लगते ही हजार लोग भी जुटाने में भाजपा को पसीना आ रहा है। हैरानी इस बात की भी है कि प्रदेश संगठन ने सात किमी के दायरे में एक ही दिन में पूर्व सीएम की दो सभाएं तय कर दी। जब पता चला कि मामला गड़बड़ होगा तो एक सभा आनन-फानन में निरस्त करनी पड़ी। इसमें भी दो विधानसभाओं की लड़ाई सामने आई। एक विधानसभा देवास-शाजापुर लोकसभा में है तो दूसरी खंडवा संसदीय सीट का हिस्सा है।
दरअसल मतदाताओं को लुभाने के लिए भाजपा स्टार प्रचारकों का सहारा ले रही है लेकिन शुरुआत से ही स्टार प्रचारकों की सभाएं फेल होने लगी हैं। आष्टा में 2 मई को भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की सभा थी। इस सभा के बाद से भाजपा में विवाद हुआ क्योंकि सभा में आशानुरूप भीड़ नहीं जुट सकी। सभा से जाने के बाद राष्ट्रीय नेतृत्व में जिम्मेदारों को फटकार भी लगाई और भाजपा प्रत्याशी और दूसरे पदाधिकारियों के बीच खींचतान शुरू हो गई। सूत्रों का कहना है कि प्रत्याशी आष्टा की सभा के पक्ष में नहीं थे लेकिन लोकसभा का जिम्मा संभाल रहे पदाधिकारिरयों ने यह सभा करवाई और इसमें देवास-हाटपीपल्या के पदाधिकारी पहुंचे ही नहीं। सोनकच्छ के कुछ लोग गए लेकिन संख्या कम रही। मंच पर भी कहासुनी की खबरें आई।
इनकी सभाएं भी रही फीकी

दूसरी सभा विदिशा संसदीय क्षेत्र के खातेगांव में थी जहां केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह आए थे लेकिन वहां भी भीड़ कम रही। इसी तरह भाजपा प्रदेशाध्यक्ष खातेगांव व आगर में सभा कर चुके हैं। आगर विधानसभा देवास-शाजापुर संसदीय सीट का हिस्सा है लेकिन यहां पार्टी के बड़े पदाधिकारियों की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बनी रही। पार्टी सूत्रों की मानें तो प्रत्याशी और पदाधिकारी के बीच खींचतान चल रही है जिस कारण प्रदेशाध्यक्ष की सभा में रूचि नहीं ली गई।
…और नाराज हुए शिवराज

सबसे ज्यादा किरकिरी 13 मई को टोंकखुर्द में हुई पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की सभा में हुई। जिस समय शिवराज सिंह सभा के लिए पहुंचे उस समय वहां करीब ५०० लोग ही थे। इसे देखकर चौहान नाराज हुए और कहा कि भीड़ क्यों नहीं आई। बाद में स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता के घर पहुंचे और इंतजार किया कि भीड़ बढ़ जाए लेकिन करीब ३०० लोग ही और आ सके वे शिवराज सभा स्थल पहुंचे। लगभग 20 से 25 मिनट बोले और चल दिए। इस सभा के बाद भाजपाइयों के मुंह उतर गए और शिवराज के सामने किरकिरी हुई। लोग भी चर्चा करने लगे कि जिन सीएम रहते जिन शिवराज को सुनने के लिए पंडाल कम पड़ जाता था उन्हीं शिवराज को सुनने के लिए अब हजार लोग भी नहीं पहुंच रहे।
प्रदेश संगठन की चूक या स्थानीय नेताओं की चाल

सबसे बड़ी चूक १४ मई की सभा में हुई। बागली विधानसभा के चापड़ा में पूर्व सीएम शिवराज सिंह पहुंचे। इसी तारीख को हाटपीपल्या विधानसभा के हाटपीपल्या में शिवराज की सभा तय कर दी गई। बागली विधानसभा खंडवा संसदीय सीट का हिस्सा है जहां से पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे हैं जबकि हाटपीपल्या देवास-शाजापुर संसदीय सीट का हिस्सा है जहां से जज की नौकरी छोड़ महेंद्र सिंह सोलंकी मैदान में हैं। हाटपीपल्या से पूर्व मंत्री दीपक जोशी चुनाव हारे हैं तो बागली सीट उनके पिता कैलाश जोशी की रही है साथ ही खुद दीपक जोशी वहां से विधायक रह चुके हैं। वर्तमान में नंदकुमार सिंह चौहान के साथ ही जोशी नजर आ रहे हैं। एक ही दिन में प्रदेश संगठन द्वारा शिवराज की दो सभा तय कर देने से भाजपा उलझ गई क्योंकि हाटपीपल्या से चापड़ा की दूरी महज आठ से दस किमी है। ऐसे में जिला भाजपा ने आनन फानन में हाटपीपल्या की सभा निरस्त करवाई और चापड़ा में सभा हुई। संगठन की चिंता थी कि यदि दोनों ही जगह सभा होती तो भीड़ नहीं जुट पाती और संदेश गलत जाता। सूत्रों का कहना है कि पूरी चूक प्रदेश संगठन की है लेकिन स्थानीय नेताओं की भी इसमें भूमिका रही, जिसे लेकर अब शिकवा-शिकायतों का सिलसिला चल रहा है।

ट्रेंडिंग वीडियो