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लगभग 2500 गांवों के संसदीय क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी औसतन1110 तो कांग्रेस प्रत्याशी घूमे 1260 गांव…जो गांव छूटे उन्हें सम्मेलनों से साधा..

locationदेवासPublished: May 18, 2019 10:54:54 am

Submitted by:

Amit S mandloi

–थम गया चुनाव प्रचार का सिलसिला, भाजपा प्रत्याशी ने10 अप्रैल से शुरू किया था प्रचार तो कांग्रेस उम्मीदवार को मिले पांच दिन ज्यादा

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चंद्रप्रकाश शर्मा
देवास. चुनाव प्रचार थम गया। लगभग 40 दिनों तक दोनों प्रत्याशियों ने लोकसभा क्षेत्र की खाक छानी। संसदीय क्षेत्र की बात करें तो करीब 2500 गांवों का यह क्षेत्र लगभग 250 से 300 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। आगर के ढोढर बरखेड़ी से शुरू होकर आष्टा के कोठड़ी तक यह क्षेत्र फैला है। इस क्षेत्र में देवास, शाजापुर, आगर व सीहोर जिले शामिल हैं। देवास जिले की देवास, सोनकच्छ व हाटपीपल्या, शाजापुर जिले की शाजापुर, शुजालपुर व कालापीपल विधानसभा, आगर जिले की आगर व सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा शामिल है। संसदीय क्षेत्र में लगभग साढ़े सत्रह लाख मतदाता है और २३१९ मतदान केंद्र हैं। पुरुष मतदाता लगभग 906724 और महिला मतदाता लगभग 841032 है। 18 से 19 आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या लगभग 60 हजार से ज्यादा है।
भौगोलिक स्थिति के अब राजनीतिक परिदृश्य की बात करें तो चार सीटें भाजपा व चार कांग्रेस के पास है। 2014 में भाजपा के मनोहर ऊंटवाल ने कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा को ढाई लाख से अधिक मतों से पराजित किया था। इस बार गणित थोड़ा अलग है क्योंकि भाजपा ने जज की नौकरी छोड़कर आए महेंद्र सिंह सोलंकी को टिकट दिया है तो कांग्रेस ने कबीर भजन गायक प्रह्लाद सिंह टिपानिया को। दोनों ही उम्मीदवार नए हैं। हालांकि सोलंकी जरूर जज बनने से पहले संघ व भाजयुमो से जुड़े रहे हैं और काम भी कर चुके हैं। टिपानिया के लिए यह सियासी डगर एकदम नई है और अब तक हुए उनके प्रचार में यह बात दिखी भी है। सरल व सहज छवि होने का लाभ तो उनको मिल रहा है लेकिन राजनीतिक दांवपेंच से अनभिज्ञता चिंता बढ़ा रही है। भाजपा प्रत्याशी इस मामले में आगे जरूर हैं लेकिन उनका खुद का व्यवहार उनके लिए मुसीबत बना हुआ है।
जुबां से निकलने वाले तल्ख अल्फाज उनकी छवि पर विपरीत असर डाल रहे हैं तो भाजपा के कई पदाधिकारी उनसे खफा तक हो गए हैं। ऐसे में पार्टी ने प्रत्याशी का नाम पीछे कर मोदी का चेहरा आगे कर दिया जबकि कांग्रेस ने इसी बात को भुनाते हुए अपने प्रत्याशी की छवि का सहारा लेकर उनका चेहरा आगे किया। अब प्रचार खत्म हो चुका है और 19 तारीख को मतदान का इंतजार है। अगले कुछ घंटों में बूथ मैनेजमेंट की रणनीति बनेगी और टीमों को तैनात किया जाएगा। अभी तक हुए जनसंपर्क की समीक्षा कर आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
प्रतिदिन तीस गांवों का औसत

इधर दोनों प्रत्याशियों ने जनसंपर्क में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस प्रत्याशी टिपानिया ने अप्रैल के पहले सप्ताह से जनसंपर्क शुरू किया तो भाजपा प्रत्याशी सोलंकी ने 10 अप्रैल से क्षेत्र का भ्रमण करना आरंभ किया। इस लिहाज से कांग्रेस प्रत्याशी को करीब एक सप्ताह का समय अधिक मिला। औसत के लिहाज से देखा जाए तो प्रतिदिन तीस गांवों में जनसंपर्क किया। इस लिहाज से भाजपा प्रत्याशी करीब 1110 गांवों में पहुंचे तो कांग्रेस प्रत्याशी 1260 गांवों में पहुंचे। कांग्रेस प्रत्याशी तो बाइक लेकर गांवों में निकल गए थे। जो गांव छूट गए थे उनको सम्मेलनों के सहारे साधा और एक जगह बाकी के गांवों को एकत्र कर अपनी बात लोगों तक पहुंचाई। दोनों उम्मीदवारों के परिजन भी उनके साथ रहे और अपने स्तर पर गांवों का दौरा किया। मतदाताओं के बीच पहुंचे। दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं से हुई बातचीत के आधार पर यह आंकड़े सामने आए हैं। इस मामले में दोनों प्रत्याशियों से संपर्क करना चाहा लेकिन दोनों से बात नहीं हो सकी।

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