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मतदान के बाद शुरू हुआ मंथन…बंपर वोटिंग ने बिगाड़े दोनों दलों के गणित

locationदेवासPublished: May 21, 2019 01:21:57 pm

Submitted by:

Amit S mandloi

–चुनाव के दौरान दोनों दलों में चली खींचतान की हो रही चर्चा, कांग्रेस में हालात बिगड़ रहे और संगठन निशाने पर

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देवास. मतदान के बाद अब राजनीतिक दल मंथन में जुटे हैं। जिस तरह से बंपर मतदान हुआ है उसने प्रत्याशियों के साथ ही भाजपा-कांग्रेस नेताओं की नींद उड़ा दी है। भाजपाई बढ़े हुए मतदान को अपने पक्ष में बता रहे हैं और लंबी लीड की बात कर रहे हैं तो कांग्रेसी बढ़े हुए मतदान को अपने पक्ष में बता रहे हैं। दोनों ही दलों के नेता मंथन कर रहे हैं और मतदान केंद्र के हिसाब से कयास लगा रहे हैं कि किस केंद्र पर कितना मतदान हुआ और इसके क्या मतलब हैं।
दरअसल इस बार देवास जिले का मतदान 79 प्रतिशत पार कर गया। जिले की बागली विधानसभा को हटा भी दें तो देवास, सोनकच्छ, हाटपीपल्या ये तीन विधानसभा देवास-शाजापुर लोकसभा सीट में आती है। सोनकच्छ और हाटपीपल्या में तो मतदान प्रतिशत 80 के पार गया वहीं देवास में 73 प्रतिशत मतदान हुआ। इसी तरह संसदीय क्षेत्र की अन्य विधानसभाओं में भी मतदान प्रतिशत बढ़ा। शाजापुर में 79, शुजासपुर में 79, आगर में 80 , आष्टा में 80 व कालापीपल में 79 प्रतिशत मतदान हुआ। इन सभी विधानसभाओं में 2014 से अधिक मतदान हुआ हालांकि बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में जरुर ज्यादा मतदान हुआ था। अब इस बढ़े हुए मतदान के बाद सियासी समीकरण गड़बड़ाने लगे हैं। भाजपा-कांग्रेस दोनों ही उम्मीदवार जीत के प्रति आश्वस्त हैं लेकिन जनता के मन की बात अब 23 मई को ही पता चलेगी।
शहर में कम, ग्रामीण में ज्यादा मतदान

देवास जिले के लिहाज से देखें तो यहां देवास विधानसभा में सबसे कम मतदान हुआ। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां 75 प्रश से अधिक मतदान हुआ था और पिछले लोकसभा चुनाव में यह प्रतिशत 68 के करीब था। इस बार 73 फीसदी मतदान हुआ है। कहा जा रहा है कि शहरी क्षेत्र में मतदान कम हुआ लेकिन ग्रामीण में ज्यादा उत्साह देखा गया। देवास विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 54 मतदान केंद्र हैं। इन केंद्रों पर औसतन 75 से 80 प्रश के बीच मतदान होना बताया जा रहा है। शहर के मतदान केंद्रों पर औसत 65 से 70 प्रश मतदान हुआ। अब इसके बाद थोड़ी स्थिति उलझ गई है।
कांग्रेस संगठन पर उठने लगे सवाल

इस चुनाव में कांग्रेस संगठन की साख पर भी सवाल उठे हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस संगठन को शहर में पोलिंग बूथ पर बैठाने के लिए दूसरी विधानसभा के कार्यकर्ताओं का सहारा लेना पड़ा है। एक बूथ पर दूसरी विधानसभा के कार्यकर्ता को बैठाया गया, जिसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या शहर में कार्यकर्ता नहीं थे। मंडलम-सेक्टर की बात फिर उठी है और शहर अध्यक्ष द्वारा कार्यकारिणी न बनाए जाने का मामला तूल पकड़ रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में संगठन में बड़ा बदलाव हो सकता है क्योंकि खींचतान और आपसी विरोध के बाद ऊपर शिकायतें पहुंच रही है। केंद्रीय पर्यवेक्षक बनकर आए कांतिभाई बावरा की भूमिका पर फिर सवाल उठ रहे हैं और एक नेता के इशारे पर काम करने के आरोप लगे हैं। कुछ कांग्रेसी शिकायत करने की बात कह रहे हैं। पार्टी फंड को लेकर भी चर्चाएं हो रही है और कांग्रेसी कुछ नेताओं पर आरोप लगा रहे हैं। कहा जा रहा है कि प्रत्याशी भी कुछ नेताओं के रवैये से नाराज हैं और इसकी बात ऊपर पहुंचाई है।
भाजपा में भी बह रही बदलाव की बयार

भाजपा में भी आने वाले दिनों में नए समीकरण बनने की अटकलें अब तेज हुई है। चुनाव के दौरान चली खींचतान और शिकवा-शिकायतों के बाद नए समीकरण बन रहे हैं। पार्टी फंड को लेकर यहां भी जमकर बवाल हुआ था और कुछ नेताओं के नाम सामने आए थे जिनकी नजरें फंड पर थी। प्रत्याशी परेशान हो गए थे। गुटबाजी को इस चुनाव में हवा मिली और अंदर सुलग रही चिंगारी और भड़की। आने वाले दिनों में भाजपा संगठन के चुनाव भी होने हैं, ऐसे में अभी से पटकथा लिखी जाने लगी है। परिणाम के बाद आगे का परिदृश्य सामने आएगा और नेताओं की राजनीति की दिशा तय होगी। चूंकि इसी साल के अंत में नगरीय निकाय के चुनाव भी होने हैं, ऐसे में आने वाले दिनों में उठापटक की आशंका बलवती हो रही है।

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