दरअसल माता टेकरी शहर की पहचान है और लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। साल में दो नवरात्रि पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। टेकरी पर हो रहे क्षरण को लेकर जब भूगर्भ शास्त्री यहां आए थे तो कहा था कि टेकरी के क्षरण को रोकने के लिए पौधारोपण ही कारगर उपाय है। इसकी रिपोर्ट भी शासन को भेजी गई थी। बाद में आशुतोष अवस्थी यहां कलेक्टर बनकर आए। उन्होंने माता टेकरी पर फोकस किया और अपने कार्यकाल के दौरान माता टेकरी की सूरत बदल दी। आसपास का अतिक्रमण हटाया और पाथ वे बनाया, जहां आज भी सैकड़ों लोग सुबह टहलने जाते हैं। इसे पर्यटन का रूप दिया। माता टेकरी पर बड़े स्तर पर पौधारोपण करवाया। ड्रिप पद्धति से पौधों को पानी देने की व्यवस्था की। दाल-बाफला पॉइंट बनाया। कुछ ही समय में टेकरी का स्वरूप बदल गया और इस कार्य के लिए शासन ने अवस्थी को सम्मानित भी किया। पूरे प्रदेश में इसकी सराहना हुई, लेकिन उनके जाते ही टेकरी बदहाल हो गई।
अवस्थी के जाते ही बिगड़ गए हालात आशुतोष अवस्थी के देवास से तबादले के बाद यहां आशीष सिंह कलेक्टर बनकर आए। उन्होंने कुछ सुधार की कोशिश की लेकिन राजनेताओं को ये सुधार पसंद नहीं आया और सिंह का तबादला हो गया। सिंह के बाद डॉ. श्रीकांत पांडेय कलेक्टर बनकर आए। लोगों को उम्मीद जागी कि पुराने कलेक्टर के कामों को आगे बढ़ाकर विकास की नई इबारत लिखी जाएगी, लेकिन हुआ एकदम विपरीत। कलेक्टर पांडेय की संवादहीनता के चलते लोग परेशान हुए। प्रशासनिक व्यवस्था लचर हो गई। टेकरी पर जो पौधे लगाए गए थे वे सूखने लग गए। ड्रिप पद्धति से पानी देना बंद हो गया नतीजतन हालात बिगडऩे लगे। पाथ वे की स्थिति भी बिगडऩे लगी। सोशल मीडिया पर इसका विरोध जताया जाने लगा। सोमवार को भी लोगों ने विरोध जताया। प्रतिदिन पाथ वे और टेकरी जाने वाले लोगोंं ने विरोध दर्ज करवाया और कहा कि कलेक्टर को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
कहां जाती है दान पेटी से निकली राशि प्रतिदिन टेकरी जाने वाले रमेश व्यास ने सोशल मीडिया पर लिखा कि टेकरी पर रखी टंकियां खाली है। देवास में एक अच्छी व्यवस्था पूर्व कलेक्टर ने शुरू की थी लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। दान पेटी से इतना पैसा आता है तो वह कहां जाता है। उस पैसे से टेकरी का रखरखाव किया जा सकता है। चद्दर उखड़ रहे हैं। सारी लाइटें बंद हैं। पौधों में पानी नहीं है। पहले वन विभाग की देखरेख में सारे पौधे सुरक्षित थे लेकिन अब कोई ध्यान नहीं दे रहा। देवास के जनप्रतिनिधि भी उदासीन है।
नेतागिरी करने वाले भी मौन हर साल नवरात्रि में पर्वत परिक्रमा निकाली जाती है। इसके लिए इन दिनों भी जोरशोर से प्रचार किया जा रहा है। पूरे शहर में फ्लेक्स लगाए गए हैं। समाजों को इसमें जोड़ा जा रहा है लेकिन आयोजक भी इस समस्या से बेखबर है। फिजूल के मुद्दों पर राजनीति करने वाले नेता टेकरी की समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे। पौधों को पानी मिले ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की जा रही। न तो कांग्रेस के नेता कुछ कर पा रहे हैं न ही भाजपा के। इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं कि जिन नेताओं को जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है क्या उनका कोई फर्ज नहीं है कि वे शहर हित में आवाज उठाएं। यदि कलेक्टर जनता की बात नहीं सुन रहे तो जनप्रतिनिधि खुद आगे आकर उनसे चर्चा क्यों नहीं कर रहे।
कुछ दिन बाद शुरू होगी नवरात्रि अगले कुछ दिनों में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है। माता के दर्शन करने के लिए दूरदराज से भक्तगण आएंगे, लेकिन अब तक प्रशासन ने किसी तरह की तैयारी ही नहीं की है। निर्वाचन के काम में व्यस्त प्रशासन दूसरे मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रहा, जिस कारण स्थिति खराब हो रही है। शहरवासी भी दबेस्वरों में इस अव्यवस्था की चर्चा कर रहे हैं।
मैं टेकरी जाकर व्यवस्था देखूंगा। यदि किसी भी तरह की अव्यवस्था है तो दूर किया जाएगा। नवरात्रि के पहले सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएगी। -जीवन सिंह रजक, एसडीएम देवास