देवास से 130 किमी दूर सतवास के पास के लोग अल सुबह देवास मेडिकल बनाने के लिए आए थे। एक दिव्यांग अजय पाल चौहान खुद लगभग चार हजार रुपए खर्च करके इन्हें लेकर आए थे। लगभग 12 दिव्यांगों को मेडिकल बोर्ड में प्रमाण पत्र बनाने के लिए लाए थे। सरकार दिव्यांगों को लेकर गंभीर है,लेकिन जिला अस्पताल प्रबंधन हमेशा की तरह संवेदनशील नजर नहीं आया। ये लोग बुधवार को साढ़े 11 बजे पहुंचे थे। पहले तो इन्हें बैठाकर रखा गया,लेकिन बाद में जिम्मेदारों ने बोल दिया कि अब अगले बुधवार को आप ठीक आठ बजे आना तो प्रमाण पत्र बनाकर दिया जाएगा, अगर उस दिन भी लेट हुए तो प्रमाण पत्र नहीं बनेगा।
कोई बैसाखी के सहारे तो किसी के हाथ का पंजा ही नहीं था कई दिव्यांग ऐसे थे, जिनसे ठीक से चलते नहीं बन रहा था। इतना ही नहीं कई तो वैसाखी के सहारे धीरे-धीरे चल रहे थे। एक बालक का तो हाथ का पंजा ही नहीं था। इन 12 दिव्यांगों की स्थिति देखकर भी जिम्मेदारों की मानवता नहीं जागी। जिला अस्पताल प्रबंधन के गैर जिम्मेदार रवैये के बाद ये लोग एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी के पास पहुंचे। जहां से इन्हें फिर जिला अस्पताल पहुंचाया गया और इनकी जांच हुई। हालांकि इतनी मशक्कत के बाद इनकी जांच तो हुई,लेकिन सोमवार को फिर इन्हें अस्पताल आकर प्रमाण पत्र लेना होगा। ये लोग सुबह 11.30 बजे से लेकर शाम पांच बजे तक भूखे-प्यासे कैंपस में बैठे रहे। हालांकि कुछ समाजसेवियों ने इनके खान-पान का बंदोबस्त किया।
तत्कालीन कलेक्टर ने कसी थी लगाम तत्कालीन कलेक्टर आशीषसिंह ने जिला अस्पताल पर लगाम कसी थी। आए दिन वे कभी भी बिना सूचना दिए दिन और रात में औचक निरीक्षण के लिए पहुंच जाते थे, कई बार उन्होंने लापरवाही को पकड़कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की थी, लेकिन वर्तमान कलेक्टर को जिला अस्पताल का रवैया नजर ही नहीं आ रहा है। वे एक या दो बार ही अस्पताल पहुंचे है,जबकि सिंह कई बार दौरा करते थे।