गौरतलब है कि पिछले माह १३ अप्रैल को एसडीएम ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ. आरके सक्सेना, व डॉ. शिवेंद्र मिश्रा अनुपस्थित पाए गए थे। शासकीय योजनाओं के भुगतान संबंधी रिकॉर्ड चेक करने पर अनियमितता सामने आई। इसमें पाया कि वर्ष 2018-19 की संबल योजना, जननी सुरक्षा योजना, परिवार कल्याण योजना के संबंध मे जांच में एक ही हितग्राहियों को दो या दो से अधिक बार राशि का भुगतान किया जाना पाया गया। जननी योजना में ७१ हितग्राहियों को लगभग 1लाख 75 हजार रुपए का भुगतान हुआ जबकि वास्तविक भुगतान 87 हजार 500 रुपए होना था। इसी तरह संबल योजना में64 हितग्राहियों को लगभग 13 लाख 32 हजार रुपए का भुगतान किया गया जबकि वास्तविक 6 लाख 66 हजार का होना था। शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन में हितग्राहीमूलक योजना में लाभान्वित किए जाने में दो बार राशि का भुगतान में खाता नंबर ऑनलाइन प्रविष्टि में त्रुटिपूर्ण दर्ज किए जाने से उक्त स्थिति निर्मित हुई है। इससे शासन को आर्थिक हानि तो हुई है साथ ही गंभीर अनियमितता बरती गई है। 30 जून 2018 के बाद केशबुक में कोई प्रविष्टि अंकित नहीं की गई है। इस मामले में कलेक्टर ने संभागायुकत को पत्र लिखकर अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रस्तावित की थी। इसके साथ ही जिला अस्पताल के लिपिक व लेखापाल अनिल वर्मा को कारण बताओ नोटिस दिया था। उनसे जवाब मांगा था।
चार सदस्यीय कमेटी ने की जांच संभागायुक्त को पत्र लिखे जाने के बाद आयुक्त ने मामले की विस्तृत जांच के निर्देश दिए। इसके लिए एसडीएम, जिपं के एडिशनल सीईओ समेत चार अधिकारियों का दल बनाया। इस दल ने जांच की। जांच पूरी होने के बाद अपनी रिपोर्ट एडीएम सपना जैन को सौंपी। बताया जा रहा है कि इस रिपोर्ट में लेखापाल दोषी पाया गया है। उसकी गलती के कारण यह सब हुआ है लेकिन संबंधित अधिकारियों की भूमिका भी संदेहास्पद रही है । यह तथ्य सामने आया है कि सिविल सर्जन या अन्य संबंधित ने रिकॉर्ड ठीक से चेक क्यों नहीं किया। उनकी लापरवाही के चलते शासन को आॢथक हानि हुई है। इसके बाद एडीएम ने पूरी रिपोर्ट कमिश्नर उज्जैन को भेज दी है। कहा जा रहा है कि संभागायुक्त दोषियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेंगे।
सीएमएचओ ने बनाई अलग जांच कमेटी जिला अस्पताल में काम कैसा चल रहा है इसे इसी से समझा जा सकता है कि इसी मामले की जांच के लिए सीएमएचओ डॉ. विजय कुमार ने अलग ही जांच कमेटी बना दी। इसमें एक डॉक्टर को शामिल किया जबकि दो संविदा कर्मचारियों को। इसके बाद सवाल उठे। अहम सवाल यह भी उठा कि जब कलेक्टर सिविल सर्जन डॉ. आरके सक्सेना, डॉ. शिवेंद्र मिश्रा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रस्तावित कर चुके हैं। संभागायुक्त ने जांच कमेटी बना दी है। उक्त कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट भी सौंप दी है। ऐसे में सीएमएचओ की जांच कमेटी सवालों के घेरे में है। हैरानी इस बात की भी है कि अस्पताल में इतनी बड़ी चूक हुई और किसी को भनक नहीं लगी। केशबुक तक मेंटेन नहीं की गई। अस्पताल में लापरवाही और मनमानी के मामले तो सामने आते रहते हैं लेकिन इस मामले ने कई सवाल खड़े किए हैं। सीएमएचओ डॉ. विजयकुमार ने बताया कि अभी कमेटी ने जांच रिपोर्ट नहीं दी है। एडीएम ने जो जांच रिपोर्ट कमिश्नर को भेजी है उसकी कॉपी भी नहीं मिली है।
जांच के लिए कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। गुरुवार को उक्त रिपोर्ट कमिश्नर को भेज दी है। इसमें लेखापाल की गलती सामने आई है। संबंधित अधिकारियों की भी गलती है क्योंकि उन्होंने ठीक से रिकॉर्ड चेक नहीं किया। आगे की कार्रवाई कमिश्नर करेंगे।
–सपना जैन, एडीएम देवास