दरअसल नए भवन में सफाई का ठेकेदार निजी हाथों में सौंप दिया था। निगम की वित्तीय स्थिति खराब होने के बाद भी ये ठेका 15 लाख रुपए साल में दिया था। जिसे लेकर पार्षदों में आक्रोश था। पार्षदों का कहना था कि उनके वार्ड में काम नहीं हो रहे है। इस लेकर पार्षदों ने पहले सभापति अंसार अहमद को आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बाद सभापति ने बैठक ली थी। बैठक में जब हाउस कीपिंग की फाईल खोली तो सभी के होंश उड़ गए थे। ये वर्क आर्डर आचार संहिता के दौरान जारी कर दिया था। जिसे लेकर सभी ने कार्रवाई की मांग की थी। कार्रवाई की मंाग को लेकर शुक्रवार को सभापति अंसार अहमद, सत्त्ता पक्ष नेता मनीष सेन ने महापौर सुभाष शर्मा से मुलाकात कर ठेका देने वाले जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज कराने और ठेका निरस्त कराने की बात कही थी। इसके बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
निगम में एक हजार सफाई कर्मचारी है, इसके बाद भी लाखों रुपए में ठेका देने का वि रोध हो रहा है। वहीं महापौर भी दबी जुबान से ठेकेदार और अधिकारियों को बचाते साफ नजर आ रहा है। उनका कहना है कि चुनाव आयोग से अनुमति लेकर ही वर्क आर्डर जारी किया होगा। वैसे भी मैंने कोई एफआईआर की बात नहीं की है। नए आयुक्त आए है हम बैठकर इस मुददे पर बात करेंगे। शर्मा ने कहा कि वे ठेका निरस्ती के पक्ष में है।