ये था संकल्प विनय सांगते द्वारा कार्यपालन यंत्री कैलाश चौधरी की कार्यशैली को लेकर प्रश्न किया था। नेता सत्ता पक्ष मनीष सेन, राजेश यादव,संजय दायमा, नेता प्रतिपक्ष विक्रम पटेल ने बताया था कि चौधरी विकास कार्यों के टैंडरों को निरस्त कर देते है, जिससे शहर का विकास अवरूद्ध हो रहा है। जिसके कारण जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ता है। इसके बाद परिषद में इनसे प्रभार लेने का बोला गया था।
दो बार लिखना पडा पत्र सत्ता पक्ष नेता ने दो बार पत्र लिखे। पहला २६ मार्च तो दूसरा 11 अप्रैल को लिखा। सेन ने आयुक्त के नाम लिखे पत्र में बताया कि संकल्प क्रमांक 31 के संदर्भ में आपको अवगत कराया जा रहा है। सभापति, महापौर द्वारा 28 मार्च को पत्र लिखकर संकल्प नहीं मानने की चिंता जाहिर की थी। और ये भी पूछा गया था कि ये परिषद की अवमानना है। चौधरी को लोक निर्माण विभाग और परियोजना से हटाकर दूसरे विभाग में पदस्थ करने का निर्णय अभी तक नहीं लिया गया। सत्ता पक्ष के लेटर का हवाला देते हुए सभापति ने भी आयुक्त को पत्र लिखा था।
संकल्प कुछ दिन पहले आया है। अभी उसकी जांच चल रही है। अभी चुनाव चल रहे है जिसके चलते विलंब है। जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। परिषद का निर्णय सर्वमान्य होता है।
नरेंद्र सूर्यवंशी, आयुक्त नगर निगम