scriptजैन इतिहास में नर्मदा तट को माना जाता है वैराग्य साधना का पवित्र स्थान… | Narmada coast is considered to be the holy place of asceticism in Jain | Patrika News

जैन इतिहास में नर्मदा तट को माना जाता है वैराग्य साधना का पवित्र स्थान…

locationदेवासPublished: Sep 23, 2019 12:05:37 pm

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mayur vyas

– आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज ने प्रवचन के दौरान व्यक्त किए विचार- जिस तरह भारत में निर्मित पहला उपग्रह रूस से छोड़ा गया था वैसे ही आज इंदौर के लिए एक अच्छे प्रकल्प की शुरुआत सिद्धोदय नेमावर की भूमि से होने जा रही – दिल्ली में समाधिस्थ हुए राष्ट्रसंत आचार्यश्री विद्यानंद सागरजी महाराज को णमोकार मंत्र का जप कर दी विनयांजलि

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देवास. अपने-अपने क्षेत्र की अपनी-अपनी विशेषता रहा करती है। सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर भी अपनी-अलग विशेषता रखता है। जहां जैन इतिहास में नर्मदा तट को वैराग्य साधना का पवित्र स्थान माना जाता है वहीं सनातन संस्कृति में भी नर्मदाजी का एक विशिष्ट स्थान है। नर्मदा अमरकंटक से निकलती है। उसका नाभिकुंड नेमावर को ही माना जाता है। उक्त विचार आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज ने रविवारीय प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। प्रवचन के अंत में दिल्ली में समाधिस्थ राष्ट्रसंत आचार्यश्री विद्यानंदजी महाराज को णमोकार मंत्र का जप कर विनयांजलि दी गई।
आचार्यश्री ने कहा कि इंदौर प्रतिभास्थली के लिए बड़ी सं?या में दानदाताओं ने दान की घोषणा कर मंगलाचरण किया है, यह नेमावर सिद्ध क्षेत्र से एक बहुत अच्छी शुरुआत है। आप लोग दान दे रहे हैं, दे सकते हैं। हम तो सिर्फ आशीर्वाद दे सकते हैं। आपके दान से स्कूल नहीं, विद्यालय का निर्माण होने जा रहा है। जिस तरह भारत में निर्मित पहला उपग्रह रूस से छोड़ा गया था वैसे ही आज इंदौर के लिए एक अच्छे प्रकल्प की शुरुआत सिद्धोदय नेमावर की इस पवित्र भूमि से होने जा रही है। इंदौर वालों को बांधना आसान नहीं था, लेकिन इस प्रतिभास्थली ने सभी को एक रूप में बांध दिया है। आचार्यश्री ने कहा कि महानगर इंदौर के लोग मंगलाचरण करने आज यहां आए हैं। आगे का इतिहास इसी मंगलाचरण से इंदौर के लिए बनने वाला है। सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने सभी दान-दाताओं का स?मान किया। रविवार को करीब दस हजार श्रद्धालु उपस्थित रहे। इंदौर से ५१ बसों व २०० से अधिक छोटे वाहनों से लोग नेमावर पहुंचे। प्रवचन के अंत में सभागार में मौजूद हजारों श्रद्धालुओं ने दिल्ली में समाधिस्थ राष्ट्रसंत आचार्यश्री विद्यानंदजी महाराज को णमोकार मंत्र का नौ बार जप कर विनयांजलि दी।
इंदौर में सहस्त्रकूट जिनालय १००८ निर्माण की घोषणा
जैन समाज के प्रवक्ता नरेंद्र चौधरी ने बताया कि इंदौर में आचार्यश्री के आशीर्वाद से शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी पहल प्रतिभास्थली के रूप बनने जा रही है। रविवार को इंदौर से बड़ी सं?या में श्रद्धालु आचार्यश्री को इंदौर पधारने का निवेदन करने हेतु नेमावर पहुंचे थे। इसके साथ ही इंदौर में सहस्त्रकूट जिनालय 1008 प्रतिमा वाला के निर्माण की घोषणा भी की गई। यह आचार्यश्री के आशीर्वाद से बनने वाला 19वां सहस्त्रकूट जिनालय होगा। बह्मचारी सुनील भैयाजी ने बताया कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से अमरकंटक में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की विश्व की सबसे वजनदार अष्टधातु की प्रतिमा कमलसिंहासन सहित 52 टन की विराजमान की गई है। जबलपुर में भी नर्मदा तट के समीप भारत का सबसे बड़ा आयुर्वेद औषधालय निर्माणाधीन है। इसी श्रृंखला में नेमावर में भी पाषाण के सहस्रकूट जिनालय के साथ भव्य जैन मंदिर और संत निवास का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।
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