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आदेश में ढाई से 15 हजार तक जुर्माना, कार्रवाई एक पर भी नहीं

locationदेवासPublished: Apr 15, 2019 12:02:14 pm

Submitted by:

Amit S mandloi

– नरवाई पर प्रतिबंध का पालन नहीं करा पा रहा सुस्त प्रशासन

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देवास. अमजद शेख उज्जैन रोड पर बांगर के आगे निकलते ही आपको सड़क के दोनों तरफ के खेतों में नरवाई में जले खेत देखने को मिल जाएंगे। उज्जैन तक जाने पर सड़क के दोनों तरफ ये ही नजारा दिखेगा। ऐसा नहीं है कि नरवाई सिर्फ उज्जैन रोड पर ही जलाई जा रही है।
शहर से कुछ बाहर निकलते सभी मार्गों पर खेत के खेत में आग लगाए जाने के निशान नजर आ जाएंगे। दरअसल फसल काटने के बाद तने के जो अवशेष बचे रहते हैं, उन्हें नरवाई कहते है। किसान फसल कटाई के बाद फसल अवशेष नरवाई को जला देते है। मप्र शासन ने दो साल पहले नरवाई पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इसका ज्यादा कुछ असर नहीं हुआ है। आज से दो साल पहले नरवाई जलाने पर शासन ने ढाई हजार से लेकर 15 हजार रुपए तक का जुर्माना तय किया था, लेकिन आज तक किसी पर नरवाई जलाने पर कार्रवाई नहीं की गई है। दोषी किसानों पर कार्रवाई का सीधे अधिकार कलेक्टर के पास है, लेकिन कार्रवाई नहीं होने से नरवाई जलाने के साथ ही खेतों में आग लगने की एक दर्जन से ज्यादा घटनाएं जिले में हो चुकी है।
हालाकि इसका कारण बिजली के तारों से निकली चिंगारी को भी माना जाता है लेकिन नरवाई से फैली आग कई जगह किसानों से काबू में नहीं हुई है। ये आग फैलते-फैलते पड़ोस के किसान के खेत तक पहुंच जाती है, इससे प्रदूषण के साथ आसपास के खेतो में आग लगने का खतरा भी रहता है। लोगों का कहना है ऐसा लगभग प्रत्येक गांव में हो रहा है लेकिन इसे रोकने के लिए जिला या स्थानीय प्रशासन कोई कदम नहीं उठ रहा है। दमा, श्वास के मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं कृषि विशेषज्ञों के अनुसार खेतों में मौजूद कीट मित्र और कई छोटे-बड़े जीव जंतु भी इस आग में नष्ट हो जाते हैं। कलेक्टर श्रीकांत पांडे से नरवाई पर प्रतिबंध नहीं लगने के संबंध में फोन लगाया लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।
नरवाई जलाने के ये नुकसान
– मिट्टी के सूक्षम जीव मर जाते
– किसानों को आने वाले समय में फसल में घाटा जाता
– खेत की जैव विविधता खत्म हो जाती
– नरवाई जलाने के बजाए भूसा बनाकर रख सकते
-तापमान में बढ़ोतरी होती
-कार्बन से नाइट्रोजन व फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता
– जमीन कठोर हो जाती
ये थी जुर्माने की राशि

नरवाई जलाने से होने वाले प्रदूषण व आग लगने की घटनाओं को देखते हुए मप्र शासन ने दो साल पहले दोषी किसानों पर 15 हजार रुपए तक का जुर्माना तय किया था, इसमें नरवाई जलाने पर दो एकड़ से कम कृषि भूमि वाले किसान को 2500 रुपए, दो एकड़ से ज्यादा व पांच एकड़ से कम कृषि भूमि वाले को पांच हजार और पांच एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि वाले को पंद्रह हजार रुपए तक का जुर्माने का प्रावधान है। जुर्माने की राशि पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में वसूली जाना थी।
ये है एनजीटी का आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण प्रदूषण एवंं नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत गेहूं की फसल कटाई के बाद बची फसल को जलाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन प्रशासन एनजीटी के नियमों का पालन नहीं करा पा रहा है। जब एनजीटी ने सख्ती दिखाई थी तो 2017 में मप्र शासन के राज्य पर्यावरण विभाग ने अधिसूचना जारी कर कलेक्टर को कार्रवाई के लिए आदेश भेजा था। ये आदेश आज भी जिले में कागजों पर ही रखा हुआ है।

जमीन के लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते है। जमीन की संरचना बैकार हो जाती है। जमीन कठोर हो जाती है। वायु प्रदूषण तो होता ही है।
डॉ. मनीष कुमार
कृषि विज्ञान केंद्र देवास।
नरवाई जलाने से सेहत को नुकसान है। इसके धुएं से फेफड़ों की बीमारी हो सकती है। कार्बन फेफड़ों में जमता है। धुएं से स्कीन एलर्जी भी होगी, खांसी, सर्दी के मरीज भी इससे बढ़ते है। सांस की बीमारी वाले मरीजों को इससे ज्यादा नुकसान होता है।
डॉ. एमएस गौसर
आरएमओ जिला अस्पताल देवास।

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