देश से निर्यात नहीं होने से प्याज और लहसुन के दाम बहुत कम है। हमारी मांग है कि फसलों पर जो निर्यात बैंड है उसे खोला जाए। ताकि फसलों की एमएसपी तय हो। जानकारी के लिए बता दें कि लगातार गिरती कीमतों पर रोक व लहसुन व प्याज के निर्यात पर लगा बैंड खोलने की मांग को लेकर राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ द्वारा प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा। इस दौरान किसान कलेक्टर परिसर में प्याज व लहसुन की माला पहनकर खड़े थे।
वहीं खंडवा जिले में भी कलेक्ट्रेट चौक पर धरना दिया. यहां उन्होंने एक रुपए में चार किलो प्याज बेची. किसान गले में प्याज की माला पहनकर धरने पर बैठ गए. उनका कहना है कि उन्होंने बड़ी उम्मीद से फसल उगाई थी, लेकिन बाजार में भाव नहीं मिलने से उनको भारी नुकसान हो रहा है. मंडी में प्याज का थोक बाजार 4 से 5 रुपए किलो है, जबकि प्याज की लागत ही 12 रुपए किलो है।
प्याज लेने के लिए लोगों की भीड़ लग गई
किसानों ने राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के बैनर तले कलेक्ट्रेट में अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। धरना स्थल पर ही प्याज का ढेर लगा कर किसानों ने एक रुपए में चार किलो प्याज बेची। किसानों ने आवाज उठाई और राहगीरों का ध्यान अपनी ओर खींचा। ये देख एक रुपए में चार किलो प्याज लेने के लिए लोगों की भीड़ लग गई।
बढ़ सकती है आवक और मांग
हालांकि कारोबारियों को उम्मीद है कि जून के महीने में प्याज और लहसुन में अच्छे माल की आवक और मांग निकलती दिखाई देगी। व्यापारियों के अनुसार महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश या राजस्थान सभी प्रदेशों में प्याज निकालने का यह आखिरी दौर है। हल्का माल बाजारों में खपाया जा चुका है। अब थोड़ा-बहुत प्याज और मंडियों में पहुंचेगा। बंगाल और बांग्लादेश में माल भी आखिरी दौर में है।
वहां माल खत्म होने के बाद प्याज की मांग निकलेगी और स्थानीय बाजारों से माल में उठाव दिखेगा। शादी-ब्याह समाप्त होने के बाद किसान सोयाबीन की बोवनी की तैयारी करेगा। इस दौरान भी अच्छी लहसुन बाजार में आएगी। अच्छा माल निकलने से मांग भी दिखेगी। अब तक हल्का माल ही बाजार में खपाया जा रहा है।