scriptपटेलिया जाति को अजजा में नहीं किया शामिल | Pateliya samaj dewas | Patrika News

पटेलिया जाति को अजजा में नहीं किया शामिल

locationदेवासPublished: Aug 24, 2018 01:06:25 pm

Submitted by:

amit mandloi

– पटेलिया जाति के 500 आवेदकों के डिजिटल जाति प्रमाण-पत्र नहीं किए जारी, आवेदक हो रहे परेशान

dewas

dewas

देवास. जिले की उदयनगर तहसील के ग्राम सेमलीखेड़ा, बोरखेड़ी, महिगांव, दड़, देवनालिया, धायड़ीतालाब, पंडूतालाब, आनंदनगर व पोलखाल के करीब ५०० आदिवासी पटेलिया जाति के आवेदकों ने लोकसेवा केंद्र उदयनगर में 25 जून 2018 को आवेदन किए थे। आवेदन जमा करने के बाद इन्हे निरस्त कर दिए हैं, जिससे आवेदकों को जाति प्रमाण-पत्र नहीं मिलने से स्कूल में प्रवेश लेने के साथ ही अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस परेशानी को लेकर आवेदकों ने २२ जून २०१८ को उदयनगर तहसील परिसर में अनशन व धरना दिया था।
आंदोलन के बाद मामला कलेक्टर श्रीकांत पांडे के समझ पहुंचा, जिन्होंने गत ५ जुलाई को प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय भोपाल को पत्र लिखा था। पत्र में कलेक्टर ने उल्लेख किया कि उदयनगर तहसील में आने वाले ग्रामों के ग्रामीणों ने आवेदन प्रस्तुत किया था। जिसमें लिखा था कि राजस्व अभिलेख में स्वयं की जाति पटेलिया गुजराती राजपूत के स्थान पर पटेलिया (अनुसूचित जनजाति) अभिलिखित करें। कलेक्टर का पत्र जाने के बाद भी इस समाज को अनुसूचित जाति में शामिल नहीं किया गया है। पीडि़तों का कहना है कि हमारे पास पहले के साधारण जाती के प्रमाण-पत्र हैं, जिन्हे कोई भी मान्य नहीं कर रहा है। सभी विभाग व स्कूल में जाति प्रमाण-पत्र की कॉपी लगाते हैं तो वह वर्तमान में चल रहे डिजिटल प्रमाण-पत्र की मांग कर रहे हैं। इस तरह से नवयुवकों व विद्यार्थियों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले को लेकर फिर पीडि़तों ने अधिकारियों को आवेदन दिए हैं। बार-बार वह अधिकारियों के चक्कर लगा रहे, किंतु समस्या का निराकरण आज तक नहीं हो सका है। पीडि़तों का कहना है कि हमारे पुर्वज पुराने समय में राजा-रजवाड़ों के साथ बैलगाड़ी से मालवा में आए थे। हमारे पुर्वज लकडिय़ों का कारोबार करते थे, इसलिए जंगल में रहकर ही काम करते थे। उस समय हमें पटेलिया राजपूत समाज का कहा जाता था। हमारा समाज अनुसुचित जाति में आने से पुराने जाति प्रमाण-पत्र बने हैं, जिन्हे अब मान्य नहीं किया जा रहा है
जिनके पुराने जाति प्रमाण-पत्र बने हैं, उन्हे नए डिजिटल प्रमाण-पत्र बनाकर दिए जा रहे हैं। नए आवेदन कर रहे हैं, उनके प्रमाण-पत्र नहीं बना रहे हैं, क्योंकि राजस्व रिकॉर्ड में उनकी अन्य जाति दर्ज है। मेरे पास नए आवेदकों के प्रमाण-पत्र बनाने का आदेश उच्चाधिकारियों की तरफ से नहीं आए हैं।
रानी बंसल, एसडीएम बागली।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो